iGrain India - नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में आयातित दलहनों का खर्च उछलकर 3.74 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो 2022-23 खर्च से लगभग दोगुना है।
सरकार द्वारा घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से न केवल दलहनों की आयात नीति को उदार बनाया गया बल्कि पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति भी प्रदान की गई जिस पर पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंध लगा हुआ था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 के दौरान दलहनों के आयात पर होने वाला खर्च भारतीय मुद्रा में 15,780 रुपए से 97 प्रतिशत उछलकर 31071 करोड़ रुपए तथा विदेशी मुद्रा में 1.94 अरब डॉलर से 93 प्रतिशत बढ़कर 3.74 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान आयात हुए दलहनों की कुल मात्रा का आधिकारिक विवरण अभी सामने नहीं आया है।
भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच के आंकड़ों के आधार पर एक अग्रणी मार्केट रिसर्च फर्म-आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान ने दलहनों का कुल आयात 2022-23 के 24.50 लाख टन से उछलकर 2023-24 में 45 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जो विश्वसनीय आंकड़ा माना जा रहा है।
विश्लेषक के अनुसार मसूर के रिकॉर्ड आयात तथा पीली मटर के शानदार आयात की वजह से दलहनों के कुल आयात में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई।
उल्लेखीय है कि सरकार ने अब 30 जून 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है जिससे आगामी समय में इसका विशाल आयात जारी रहने की संभावना है। इसी तरह तुवर एवं उड़द के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है।
राहुल चौहान का कहना है कि म्यांमार एवं पश्चिम अफ्रीका के निर्यातक देशों में उड़द एवं तुवर का भाव ऊंचा होने से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान दलहनों के आयात खर्च में जबरदस्त इजाफा हुआ जबकि आयात की मात्रा में भारी वृद्धि भी इसका एक कारण है।
मसूर का आयात 2022-23 के 8.58 लाख टन से उछलकर 2023-24 में 16.11 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है। इसी तरह उड़द का आयात 5.24 लाख टन से बढ़कर 6.16 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है मगर अरहर (तुवर) का आयात 8.95 लाख टन से घटकर 7.70 लाख टन पर सिमटने की संभावना है।