iGrain India - इंदौर । केन्द्रीय पूल में गेहूं का योगदान देने वाले दूसरे सबसे अग्रणी राज्य- मध्य प्रदेश के कई जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की क्वालिटी प्रभावित होने की सूचना मिल रही है।
तेज हवा के साथ भारी बारिश होने तथा ओले गिरने से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है। हालांकि चालू रबी सीजन के दौरान राज्य में गेहूं की अच्छी बिजाई हुई थी और फरवरी तक मौसम की हालत भी कमोबेश अनुकूल बनी हुई थी।
इसके आधार पर वहां इस बार गेहूं का कुल उत्पादन 250 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा था। केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने इस वर्ष मध्य प्रदेश में 80 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य नियत किया है और अभी तक वहां खरीद की रफ्तार अच्छी बनी हुई है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार आंधी-वर्षा एवं ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से गेहूं की पैदावार पर तो ज्यादा गंभीर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा लेकिन दाने की क्वालिटी खराब हो जाएगी।
उसकी चमक पीली पड़ सकती है। वैसे मध्य प्रदेश सरकार ने 30 प्रतिशत तक चमकहीन (लस्टर लॉस) गेहूं की खरीद सामान्य मूल्य स्तर पर करने का निर्णय लिया है जिससे किसानों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि लस्टर लॉस गेहूं का दाना ही बदरंग होता है, उसमें प्रोटीन का अंश नहीं घटता है।
विश्लेषकों के मुताबिक इन प्राकृतिक आपदाओं से गेहूं की अगैती बिजाई बिजाई वाली फसल प्रभावित हुई है जिसकी जोरदार कटाई-तैयारी चल रही है। दूसरी ओर बारिश से पिछैती फसल को फायदा होने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश में 15 मार्च से गेहूं की खरीद का औपचारिक सीजन शुरू हुआ और अब तक भारी मात्रा में इसकी खरीद हो चुकी है।
दरअसल वहां 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर 125 रुपए के अतिरिक्त बोनस के साथ किसानों से 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जा रहा है जो मंडी भाव से कुछ ऊपर है इसलिए किसान सरकारी क्रय केन्द्रों पर अच्छी मात्रा में अपना गेहूं ला रहे हैं।