iGrain India - अहमदाबाद । हालांकि बेहतर मौसम की उम्मीद से गुजरात के किसान इस वर्ष ग्रीष्मकालीन या जायद फसलों की खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं लेकिन वहां बारिश के अभाव एवं ऊंचे तापमान से इन फसलों और खासकर धान की फसल को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गुजरात में इस वर्ष 8 अप्रैल तक 94 हजार हेक्टेयर में धान 3.05 लाख हेक्टेयर में बाजरा तथा 7 हजार हेक्टेयर में मक्का सहित कुल 4.06 लाख हेक्टेयर में अनाजी फसलों की खेती हुई।
इसी तरह 44 हजार हेक्टेयर में मूंग तथा 22 हजार हेक्टेयर में उड़द के साथ 66 हजार हेक्टेयर में दलहनों की बिजाई हुई। तिलहन फसलों का रकबा 1.70 लाख हेक्टेयर रहा जिसमें 52 हजार हेक्टेयर में मूंगफली तथा 1.17 लाख हेक्टेयर में तिल का क्षेत्रफल शामिल था। इसके अलावा वहां प्याज, गन्ना, सब्जी, ग्वार, चारे की फसल तथा कुछ अन्य फसलों की खेती भी हुई है।
हालांकि मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ तथा साइक्लोनिक सर्कुलेशन के कारण देश के कई राज्यों में वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है लेकिन गुजरात- महाराष्ट्र में तापमान ऊंचा रहने का अनुमान लगाया है।
अधिकांश राज्यों में बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है जिसमें गुजरात भी शामिल है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सौराष्ट्र संभाग में जायद फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और वहां बारिश की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है। धान की फसल को सिंचाई के लिए पानी की सर्वाधिक जरूरत पड़ती है।