iGrain India - कुआलालम्पुर । इंडोनेशिया के बाद दुनिया के दूसरे सबसे प्रमुख पाम तेल उत्पादक एवं निर्यातक देश- मलेशिया में आमतौर पर नवम्बर से फरवरी-मार्च तक क्रूड पाम तेल (सीजीओ) का उत्पादन कम होता है और भाव ऊंचा रहता है।
वस्तुत: यह समय लीन या ऑफ सीजन माना जाता है। इसके बाद अप्रैल से सीपीओ का उत्पादन बढ़ना शुरू हो जाता है जो कमोबेश अक्टूबर तक बरकरार रहता है। इस बार वहां मार्च में भी सीपीओ के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार चालू माह से मलेशियाई पाम तेल के उत्पादन में सुधार का सिलसिला बनाने से कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है या फिर इसमें आती तेजी की संभावना क्षीण पड़ सकती है।
सामान्यतः पाम तेल का भाव इसके उत्पादन, स्टॉक तथा निर्यात प्रदर्शन पर निर्भर करता है। भारत चीन तथा यूरोपीय संघ मलेशियाई पाम तेल के तीन शीर्ष एवं स्थायी खरीदार है।
मलेशियन पाम व ऑयल कौंसिल (एम्पोक) के अनुसार आगामी महीनों के दौरान चीन और भारत खाद्य तेलों के आयात में ज्यादा दिलचस्पी या सक्रियता दिखा सकते हैं क्योंकि वैश्विक बाजार में इसका भाव नरम रहने की संभावना है।
प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों में उत्पादन तथा स्टॉक बढ़ने से सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल दाम पर दबाव पड़ रहा है।
लेकिन इंडोनेशिया एवं मलेशिया में पाम तेल का बकाया अधिशेष स्टॉक घटकर नवम्बर 2022 के बाद सबसे निचले स्तर पर सिमट गया है। उधर चीन और भारत में भी खाद्य तेलों का स्टॉक काफी गिर गया है।
दरअसल नवम्बर 2023 से फरवरी 2024 के दौरान चीन तथा भारत में खाद्य तेलों के आयात में 2022-23 सीजन की समान अवधि के मुकाबले काफी गिरावट आ गई।
यह गिरावट चीन में 34 प्रतिशत एवं भारत में 21 प्रतिशत दर्ज की गई। भारत में मार्च 2024 के दौरान भी खाद्य तेलों का कम आयात हुआ। सूरजमुखी तेल का भाव घटकर काफी नीचे आ गया है लेकिन निकट भविष्य में कुछ तेज होने की संभावना है।