iGrain India - नई दिल्ली । इसमें कोई संदेह नहीं कि तुवर, उड़द एवं मूंग के ऊंचे बाजार भाव से उत्साहित किसान इस वर्ष खरीफ सीजन में आमतौर पर दलहनों का बिजाई क्षेत्र बढ़ाने का पुरजोर प्रयास करेंगे मगर उसका प्रयास तभी सफल हो पाएगा जब दक्षिण- पश्चिम ममनसून सीजन के दौरान सही समय पर अच्छी बारिश होती रहे।
सुखद खबर यह है कि इस बार देश में मानसून की सामान्य वर्षा होने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है क्योंकि अल नीनो मौसम चक्र समाप्त होने वाला है और ला नीना मौसम चक्र के आने की प्रबल संभावना बनी हुई है।
एक अनोखा और विचित्र संयोग यह बन रहा है कि रहा है कि इस बार ला नीना मौसम चक्र के साथ हिन्द महासागर में सकारात्मक डायपोल का निर्माण होने के संकेत मिल रहे हैं जिससे मानसून को काफी मजबूती मिल सकती है।
आमतौर पर यह सकारात्मक डायपोल अल नीनो के समय बनता है जो उसके प्रभाव को सीमित करके मानसून की स्थिति को बेहतर बनाने में सहायता करता है। इसी डायपोल के कारण पिछले साल सितम्बर में भारी वर्षा हुई थी जबकि उससे पूर्व अगस्त में भयंकर सूखा पड़ा था।
गत वर्ष खरीफ कालीन दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 5.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ 123.57 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया था क्योंकि अगस्त में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में बारिश बहुत कम होने और तापमान ऊंचा रहने से किसानों को बिजाई की रफ्तार बढ़ाने में सफलता नहीं मिल सकी।
मौसम विशेषज्ञ इस बार जून में कम लेकिन जुलाई-अगस्त-सितम्बर में भारी वर्षा होने का अनुमान लगा रहे हैं जिससे खरीफ-कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले 10-15 प्रतिशत थी बढ़ोत्तरी हो सकती है।
इस बार मानसून-पूर्व की बारिश (मार्च-मई के दौरान) कम होने की संभावना है इसलिए मानसून सीजन में अच्छी वर्षा होने के आसार दिख रहे हैं।