iGrain India - नई दिल्ली । ईरान तथा इजरायल के बीच टकराव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं जिस पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर लगी हुई है। भारतीय उद्योग- व्यापार क्षेत्र इससे काफी चिंतित है क्योंकि पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव भारत के विदेश व्यापार को काफी हद तक प्रभवित कर सकता है।
लाल सागर में यमन के हूती विद्रोहियों एवं हिन्द महासागर में सोमालिया के समुद्री लुटेरों के आतंक से भारतीय निर्यातकों को पहले से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
यदि खाड़ी क्षेत्र से आवागमन में कोई अवरोध उत्पन्न हुआ तो भारत को खासकर बासमती चावल, चाय, कॉफी तथा मसाला सहित कई अन्य कृषि उत्पादों के साथ-साथ औद्योगिक सामानों का निर्यात करने में मुश्किल और बढ़ जाएगी क्योंकि शिपमेंट में समय और खर्च बढ़ जाएगा, पूंजीगत सामानों के चक्र का परवाह थमेगा और क्रियाशील पूंजी के फसने का खतरा बढ़ जाएगा।
जिन उद्योगों एवं निर्यातकों पर अभी तक इन प्रतिकूल परिस्थितियों का ज्यादा असर नहीं पड़ा है वे भी आगामी हालत की आशंका से चिंतित और नर्वस होने लगे हैं।
ईरान-इजरायल के टकराव से क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) की आपूर्ति प्रभावित होने तथा कीमत उछलने की आशंका रहेगी जो भारत जैसे अग्रणी आयातक देश के लिए कठिनाई उत्पन्न करेगी।
यदि ईरान ने होरयुज जल डमरूमध्य के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया तो भारत में डीजल-पेट्रोल तथा एलएनजी का दाम तेजी से बढ़ सकता है जिसका असर अन्य सामानों के दाम पर भी पड़ना निश्चित हो जाएगा।
ईरान स्वयं भारत से अनेक कृषि एवं खाद्य उत्पादों का भारी आयात करता है। बासमती चावल का तो वह शीर्ष आयातक देश रहा है। ईरान के चावहार बंदरगाह से भारतीय उत्पादों को खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों तक पहुंचाने में आसानी होती है।
ईरान का यह चावहार बंदरगाह भारत के सहयोग से बना हुआ है मगर अब इस पर इजरायल के हमले का खतरा बना हुआ है। यदि ऐसा हुआ तो मध्य-पूर्व पश्चिम एशिया एवं खाड़ी देश के देशों से भारत का आयात-निर्यात काफी हद तक प्रभावित हो सकता है।