iGrain India - नई दिल्ली । ऊंची मांग, सरकारी प्रोत्साहन, सोशल मीडिया पर प्रचार तथा उत्पादन में आई गिरावट जैसे कारणों से मिलेट्स के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च में रागी और इसके उत्पादों की महंगाई दर में 16.6 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले 6 वर्षों का दूसरा सबसे ऊंचा स्तर रहा।
फरवरी में भी यह महंगाई दर 16.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी। आमतौर पर मिलेट्स का उत्पादन लगभग स्थिर बना हुआ है लेकिन अनेक खाद्य उद्योग में मांग बढ़ने से कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ रहा है।
हालांकि केन्द्र सरकार मिलेट्स के उत्पादन के काफी प्रोत्साहित कर रही है लेकिन इसके बावजूद रागी का बिजाई क्षेत्र 2022-23 सीजन के 11.60 लाख हटकेयर से घटकर 2023-24 के सीजन में 10.40 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
इसके फलस्वरूप समीक्षाधीन अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर रागी का कुल उत्पादन भी 16.90 लाख टन से गिरकर 13.90 लाख टन के करीब रह गया। पिछले सात महीनों से रागी में महंगाई दर दो अंकों में बानी हुई है जबकि जनवरी 2024 के बाद से इसमं ज्यादा तेजी आई है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में फसल के लिए मौसम पूरी तरह अनुकूल नहीं रहा।
जहां तक ज्वार की बात है तो इसकी कीमतों में भी तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है। वैसे फरवरी में इसमें महंगाई दर 12.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो मार्च में गिरकर 10 प्रतिशत रह गई मगर यह दो अंकों से नीचे नहीं आई।
दिलचस्प तथ्य यह है कि दिसम्बर 2022 से ही ज्वार में 10 प्रतिशत से ऊंची महंगाई दर बरकरार है। ध्यान देने की बात है कि ज्वार के बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन- दोनों में ही कुछ बढ़ोत्तरी हुई है।
2022-23 के सीजन में ज्वार का उत्पादन 38.10 लाख टन हुआ था जो 2023-24 के सीजन में बढ़कर 40.30 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है।
इसी तरह ज्वार का बिजाई क्षेत्र भी इस अवधि में 35.40 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 36.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। मौसम एवं वर्षा की स्थिति भी काफी हद तक सामान्य रही।
मिलेट्स का उपयोग स्नैकस एवं मिष्ठान के निर्माण में तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा इससे नए-नए खाद्य व्यंजन भी बनाए जा रहे हैं। इससे मिलेट्स की मांग एवं कीमत बढ़ रही है।
सरकार मिलेट्स को बहुत अधिक प्रोत्साहित कर रही है। बहुराष्ट्रीय खाद्यकंपनियां भी भारी मात्रा में मिलेट्स की खरीद कर रही है जिससे इसका भाव आगे भी ऊंचा रहने की उम्मीद है।