iGrain India - लाहौर । पाकिस्तान शुगर मिल्स एसोसिएशन (पीएसएमए) ने सरकार से यथाशीघ्र चीनी के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है। ताकि वैश्विक बाजार में प्रचलित ऊंचे मूल्य का फायदा उठाया जा सके।
एसोसिएशन के अनुसार देश में 15 लाख टन चीनी का अधिशेष स्टॉक मौजूद है और सरकार को देर किए बगैर इसके निर्यात की मंजूरी देनी चाहिए। निर्यात के लिए मिलर्स अथवा निर्यातकों पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं डाला जाना चाहिए। चीनी के निर्यात से देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की आमदनी होगी जिसकी पाकिस्तान को सख्त जरूरत है। यह राष्ट्रीय हित में होगा।
एसोसिएशन के मुताबिक यदि पाकिस्तान से यथाशीघ्र चीनी का निर्यात शुरू हो जाता है तो देश को अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा लगाने का अवसर मिल जाएगा। दूसरी ओर अगर निर्यात में देरी हुई तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव नीचे आ जाएगा और देश को कम विदेशी मुद्रा प्राप्त होगी।
एसोसिएशन के पंजाब जोन के प्रवक्ता ने केन्द्रीय उद्योग मंत्री एवं वाणिज्य मंत्री के साथ साथ तमाम सम्बन्धित उच्चाधिकारियों को इस मामले में जल्दी से जल्दी निर्णय लेने का आग्रह किया है।
एसोसिएशन का कहना है कि जल्दी से जल्दी चीनी के निर्यात की प्रक्रिया शुरू होने पर गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान करने में आसानी होगी। वर्तमान समय में पाकिस्तान में चीनी का एक्स फैक्ट्री भाव 133-135 रुपए प्रति किलो चल रहा है जबकि इसका लागत खर्च बढ़कर 175 रुपए प्रति किलो की शीर्ष ऊंचाई पर पहुंच गया है।
चीनी मिलों को काफी नुकसान हो रहा है और उसकी वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हो गई है। चीनी मिलों के 425-550 रुपए प्रति मन की दर से गन्ना खरीदना पड़ा है।
पिछले साल गन्ना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपए प्रति मन ही था। चीनी उत्पादन के लिए आवश्यक अन्य इनपुट के दाम में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है इसलिए लागत खर्च उछलकर अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।