iGrain India - नई दिल्ली । चालू रबी मार्केटिंग सीजन में केन्द्रीय पूल के लिए गेहूं एवं धान की खरीद की गति कुछ धीमी देखी जा रही है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इन दोनों खाद्यान्न की खरीद की जा रही है।
समझा जाता है कि एक तो खाद्यान्न की आवक हो रही है और दूसरे, उसमें नमी का अंश ऊंचा है। इसके अलावा खुला बाजार भाव भी मजबूत बना हुआ है।
जहां तक गेहूं का सवाल है तो इस बार सरकार ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में नियत समय से पूर्व ही इसकी खरीद शुरू करने का प्लान बनाया था लेकिन वह सफल नहीं हो सका।
पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद धीमी गति से हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं की कुल आवक 35 प्रतिशत घटकर 86 लाख टन रह गई।
बेमौसमी वर्षा, तेज हवा एवं ओलावृष्टि के कारण गेहूं की कटाई में देर हो गई और दाने को सुखाने में भी ज्यादा समय लग गया। इसके फलस्वरूप गेहूं की सहकारी खरीद में भी गत वर्ष के मुकाबले 36 प्रतिशत की भारी गिरावट आ गई। आगे इसकी रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है।
जहां तक धान की बात है तो इसकी सरकारी खरीद की गति इसलिए धीमी है क्योंकि बाजार भाव ऊंचा चल रहा है और किसान अपना अनाज सरकारी एजेंसियों के बजाए व्यापारियों एवं राइस मिलर्स को बेचने के प्राथमिकता दे रहे हैं।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2023-24 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान धान की कुल सरकारी खरीद 685 लाख टन तक ही पहुंच सकी जो 2022-23 सीजन की खरीद से 7 प्रतिशत कम रही। इसी तरह गेहूं की कुल खरीद चालू रबी सीजन में 71 लाख टन तक ही पहुंची जबकि पिछले साल की समान अवधि में 111 लाख टन पर पहुंच गई थी।
पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में आसमान पर बादल छाए रहने तथा मौसम नम रहने से गेहूं की कटाई में देर हो रही है और दाने भी गीले हो गए हैं। फसल की कटाई धीमी गति से हो रही है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यदि अगले कुछ दिनों में मौसम साफ होता है और तापमान घटता है तो गेहूं के दाने को पकने के लिए अतिरिक्त समय मिल जाएगा जिससे उसकी पैदावार एवं क्वालिटी में सुधार आने के आसार बढ़ जायेगें।