iGrain India - नई दिल्ली । मौसम विशेषज्ञों द्वारा चालू वर्ष के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की हालत सामान्य रहने तथा देश भर में अच्छी बारिश होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है।
इस पर तिलहन-तेल क्षेत्र के एक अग्रणी संगठन- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे भारतीय किसानों को काफी राहत मिलेगी और अब वे खरीफ फसलों की बिजाई के लिए बेहतर ढंग से अपना प्लान बना सकेंगे।
मानसून सीजन के दौरान देश में दीर्घावधि औसत (एलपीए) के सापेक्ष 106 प्रतिशत वर्षा होने की संभावना जताई जा रही है। मानसून का आगमन जून में तथा प्रस्थान सितम्बर में होता है जबकि जुलाई तथा अगस्त के दौरान देश में सर्वाधिक बारिश होती है।
इस बार मानसून के सही समय पर आने की उम्मीद भी व्यक्त की जा रही है। खरीफ सीजन के दौरान देश में तिलहन फसलों और खासकर सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी तथा तिल अदि की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसी तरह अखाद्य तिलहन फसलों में अरंडी का उत्पादन होता है।
चूंकि जून-सितम्बर के चार महीनों में देश के अंदर सामान्य या इससे अधिक वर्षा होने की उम्मीद है इसलिए तिलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र तथा उत्पादन में बढ़ोत्तरी की आशा की जा सकती है। इससे खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में सहायता मिलेगी।
भारत वर्तमान समय में संसार में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है जहां प्रति वर्ष 140-150 लाख टन के बीच खाद्य तेल मंगाया जाता है।
इसके तहत इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड से पाम तेल, अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से सोयाबीन तेल तथा रूस, यूक्रेन एवं अर्जेन्टीना से सूरजमुखी तेल का आयात होता है।
सरकार तिलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर खाद्य तेलों का आयात घटाने का प्रयास कर रही है मगर घरेलू प्रभाग में इसकी मांग एवं आपूर्ति के बीच इतना विशाल अंतर है कि उसे पाटने में लम्बा वक्त लगेगा।