iGrain India - नई दिल्ली । भारत दुनिया में दलहन के उत्पादन, उपयोग तथा आयात में नम्बर वन देश बना हुआ है। दलहन में अनेक तरह के पोषण तत्व पाए जाते हैं और यह प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है।
भारत खाद्यान्न के मामले में पहले ही आत्मनिर्भर हो चुका है और पिछले कुछ वर्षों से वहां दलहन-तिलहन उपादन भी बढ़ रहा है। लेकिन दालों एवं खाद्य तेलों की घरेलू मांग तथा खपत उससे भी तेज गति से बढ़ती जा रही है जिससे विदेशों से इसके विशाल आयात की आवश्यकता बनी रहती है।
घरेलू उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोत्तरी होने पर ही इसका आयात कम या बंद हो सकता है। दलहनों का उत्पादन किसानों के लिए कमाई का एक जरिया है जबकि राष्ट्रीय पोषण सुरक्षा के लिए भी अत्यन्त आवश्यक है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दलहनों का घरेलू उत्पादन 2015-16 के सीजन में 163.20 लाख टन हुआ था जो तेजी से बढ़ते हुए 2022-23 के सीजन में 275.04 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।
इसी तरह समीक्षाधीन अवधि के दौरान तिलहनों का घरेलू उत्पादन भी 252.50 लाख टन से उछलकर 409.97 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। दलहनों का आयात इस अवधि में 58 लाख टन से घटकर 24.96 लाख टन पर अटक गया जबकि खाद्य तेलों के आयात में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो गई। तेजी से बढ़ती घरेलू मांग को इस करने के लिए भारत में दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है।
जनसंख्या वृद्धि एवं प्रति व्यक्ति आय में हो रही बढ़ोत्तरी के कारण देश में दालों तथा खाद्य तेलों की मांग एवं खपत बढ़ रही है। दिलचस्प तथ्य यह है कि कीमतों में इजाफा होने के बावजूद खपत पर ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है।
उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए किसानों को हर तरह का सहयोग- समर्थन कर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
किसानों को यह विश्वास दिलाना होगा कि दलहन और तिलहन फसलों की खेती उसके लिए लाभप्रद साबित होगी। इसके साथ-साथ इन दोनों संवर्ग की फसलों की उपज दर बढ़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है जो अभी वैश्विक औसत से काफी नीचे है।