iGrain India - गुंटूर । दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों में लालमिर्च की नई फसल की जोरदार तुड़ाई-तैयारी होने लगी है और विभिन्न मंडियों में इसकी विशाल आवक भी हो रही है।
लेकिन समझा जाता है कि अधिकांश माल की क्वालिटी हल्की होने से स्टॉकिस्ट एवं डीलर्स ऊंचे दाम पर इसकी खरीद करने में विशेष दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
आंध्र प्रदेश की बेंचमार्क गुंटूर मंडी में पिछले कुछ समय से रोजाना औसतन 80-85 हजार बोरी, तेलंगाना के वारंगल में 12-15 हजार बोरी तथा तमिलनाडु के इरोड में भी 80-85 हजार बोरी लालमिर्च की भारी आवक हो रही है।
क्वालिटी स्तरीय नहीं होने से कारोबार सीमित हो रहा है जिससे कीमतों पर दबाव बना हुआ है। निर्यातक अच्छी क्वालिटी के माल की तलाश कर रहे हैं और उसका ऊंचा मूल्य देने के लिए भी तैयार हैं।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मंडियों में अच्छी क्वालिटी के सूखे माल की आवक जोर पकड़ने पर कीमतों में तेजी आ सकती है लेकिन इसमें कुछ समय लगने की संभावना है।
मध्य प्रदेश में फसल की आवक देरी से शुरू हुई थी मगर बाद में आपूर्ति की गति सामान्य हो गई। पिछले दिन गुंटूर मंडी में क्वालिटी के आधार पर 334 नम्बर की लालमिर्च का भाव 14,000 से 20,000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच दर्ज किया गया।
निर्यात की मात्रा के बाद मुस्लिम बहुल देशों में भारतीय लालमिर्च की मांग कुछ कमजोर पड़ी है। इसी तरह भविष्य गर्मी के कारण घरेलू प्रभाग में भी इसकी खपत में थोड़ी कमी आई है।
चीन तथा बांग्ला देश में आगामी समय में लालमिर्च की अच्छी मांग निकलने की उम्मीद है। अच्छी क्वालिटी के माल की आवक बढ़ने पर ही बाजार में तेजी संभव हो पाएगी।