iGrain India - मंगलोर । पिछले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून एवं उत्तर-पूर्व मानसून सीजन के दौरान वर्षा कम होने तथा चालू वर्ष के दौरान मानसून-पूर्व की बारिश भी अच्छी नहीं होने से देशभर के बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर घटकर चिंताजनक स्तर तक नीचे आ गया है।
इस बीच कई राज्यों में तापमान बढ़कर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाने के कारण खेतों की मिटटी से नमी सूखने की रफ्तार बढ़ गई है। भूजल तथा भूमिगत जल का स्तर गिरकर काफी नीचे चला गया है।
ऐसी हालत में न केवल फसलों की सिंचाई के लिए पानी का भारी अभाव महसूस होने लगा है बल्कि देश के कुछ राज्यों में पेयजल का गंभीर संकट भी उपस्थित हो गया है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन जून के प्रथम सप्ताह में दक्षिण भारत में होने की संभावना है जबकि अन्य राज्यों तक पहुंचने में इसे लम्बा समय लग सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि मई-जून में भीषण गर्मी के बीच वर्षा का अभाव रहेगा जिससे परिस्थिति विकट हो सकती है।
देश के अनेक राज्यों में अभी जायद सीजन की फसलें लगी हुई हैं जिसमें धान, मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, मक्का एवं ज्वार आदि शामिल है। बारिश के अभाव एवं ऊंचे तापमान के कारण इन फसलों का भविष्य दांव पर लग सकता है।
पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान में कपास की बिजाई का सीजन आरंभ हो गया है लेकिन वहां अनेक क्षेत्रों में तेज हवा के साथ बारिश होने के समाचार मिल रहे हैं जिससे बिजाई में तो किसानों को सहायता मिलेगी मगर गेहूं कि फसल को नुकसान होने का खतरा है।
कुल मिलाकर मौसमी परिस्थितियां अभी कृषि क्षेत्र के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं है और पेयजल का संकट दूर करना एक महत्वपूर्ण चुनौती साबित हो सकती है।