iGrain India - नई दिल्ली । तेज हवा, बेमौसमी वर्षा एवं ओलावृष्टि से राजस्थान और मध्य प्रदेश में गेहूं के दाने की क्वालिटी प्रभावित हुई है। उसमें चमक घट गई है और वे कई क्षेत्रों में बदरंग हो गए हैं।
किसानों को निराशा और हताश में औने-पौने दाम पर अपना गेहूं बेचने से बचाने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले अनाज की क्वालिटी से सम्बन्धित नियमों एवं शर्तों में छूट प्रदान की है।
इन दोनों राज्यों में 6 प्रतिशत तक क्षति क्षतिग्रस्त दाने वाले गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर की जाएगी जबकि चपटे एवं टूटे दाने वाले गेहूं के लिए मान्य स्तर 6 प्रतिशत से बढ़ाकर मध्य प्रदेश में 15 प्रतिशत तथा राजस्थान में 20 प्रतिशत निर्धारित किया गया है।
इसी तरह गेहूं के दाने में लस्टर लॉस (चमक में कमी) का मान्य स्तर भी बढ़ाकर मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत तथा राजस्थान में 70 प्रतिशत नियत किया गया है।
कहने का अर्थ यह है कि राजस्थान में 70 प्रतिशत तक चमकहीन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाएगी जबकि मध्य प्रदेश में यह सीमा 50 प्रतिशत तक रहेगी।
वस्तुतः सरकार का उद्देश्य केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं की खरीद सुनिश्चित करना है ताकि घरेलू बाजार में इसकी कीमतों को नियंत्रित करने और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायता मिल सके।
मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में संयुक्त रूप से 100 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है और सरकार इसे हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है भले ही उसे गेहूं की क्वालिटी के साथ समझौता करना पड़े।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार में ऐसे 59 जिलों की पहचान की गई है जहां गेहूं की खरीद पर विशेष नजर रखी जाएगी। इस बार कुल 310 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का आरंभिक लक्ष्य नियत किया गया था।