iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । अल नीनो के प्रभाव से वर्षा की भारी कमी के कारण मार्च में देश के करीब 26.5 प्रतिशत भाग में गंभीर सूखे का माहौल रहा जो फरवरी में 25.9 प्रतिशत था।
राष्ट्रीय पर्यावरण सूचना केन्द्र (एनसीईआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के उत्तरी, पूर्वी तथा दक्षिणी-पश्चिमी भाग में सूखे की स्थिति ज्यादा गंभीर रही। उल्लेखनीय है कि यह एनसीईआई अमरीका के नेशनल ऑथियानिक एक एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की एक शाखा है।
सूचना केन्द्र के अनुसार फरवरी 2024 के दौरान भारत का 25.9 प्रतिशत भाग सूखे की चपेट में था जिसमें उत्तरी, पूर्वी तथा तटीय दक्षिणी-पश्चिमी हिस्सा शामिल था। मार्च में इसका दायरा कुछ और बढ़ गया।
अल नीनो का आगमन जून 2023 में हुआ और तभी से भारत में बारिश की स्थिति अनियमित तथा अनिश्चित हो गई। चालू वर्ष के आरंभ से देश के ऐसे 711 जिलों में से लगभग 50 प्रतिशत जिलों में बारिश का अभाव देखा जा रहा है जहां से मौसम एवं वर्षा का आंकड़ा एकत्रित किया जाता है।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरों ने पिछले सप्ताह अल नीनो मौसम चक्र के समाप्त होने की घोषणा की थी मगर भारत में मानसून-पूर्व की बारिश अभी तक जोर नहीं पकड़ पाई है। मार्च से मई के दौरान मानसून-पूर्व की वर्षा होती है जबकि जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून आ जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम की हालत अल नीनो सोदर्ण ऑसिलेशन (ईइनएसओ) न्यूट्रल हो गई है और जुलाई से ला नीना मौसम चक्र को सक्रियता बढ़ने की संभावना है।
इसकी सक्रियता से अत्यन्त मूसलाधार वर्षा की संभावना रहती है और कई इलाकों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है। मानसून पूर्व की बारिश कम होने से जायद फसलों को नुकसान होने की आशंका है।
सूचना केन्द्र के मुताबिक कासरगौड़ (केरल), दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक), रत्नागिरी एवं सतारा (महाराष्ट्र), चूड़ाचंदरपुर (मणिपुर), कारगिल- लेह (लद्दाख), कुरूंग कुमेथ (अरुणाचल प्रदेश) तथा बांदा एवं फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) में सूखे की हालत ज्यादा गंभीर रही।