iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में गेहूं फसल की कटाई-तैयारी की गति अब तेज हो गई है और सरकारी क्रय केन्द्रों पर इसकी आवक तथा खरीद में भी बढ़ोत्तरी होने लगी है लेकिन मध्य अप्रैल तक खरीद की मात्रा इतनी पीछे हो गई थी
कि उसकी भरपाई करने में कुछ समय लग जाएगा। दरअसल खराब मौसम कारण किसानों को गेहूं की फसल काटने तथा सुखाने में शुरूआती चरण के दौरान काफी कठिनाई हुई।
मध्य प्रदेश का परिदृश्य इससे अलग है। वहां आरंभिक दौर में गेहूं की सरकारी खरीद की गति काफी अच्छी रही लेकिन अब धीमी पड़ने लगी है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि राजस्थान की भांति मध्य प्रदेश में भी गेहूं की खरीद पर किसानों को 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर 125 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा की गई है।
सरकार को उम्मीद है कि 2400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव गेहूं उत्पादकों के लिए अत्यन्त आकर्षक है और इसलिए वे अपना अधिक से अधिक गेहूं सरकारी एजेंसियों को बेचने का प्रयास करेंगे।
राजस्थान में भी खराब मौसम के कारण गेहूं की आवक एवं खरीद में अच्छी बढ़ोत्तरी नहीं देखी जा रही है। लेकिन हरियाणा में खरीद की स्थिति लगभग सामान्य है।
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय में वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान पंजाब में 130 लाख टन, हरियाणा में 80 लाख टन, मध्य प्रदेश में 80 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 60 लाख टन, राजस्थान में 20 लाख टन तथा बिहार में 2 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है और उसे यह लक्ष्य हासिल होने की पूरी उम्मीद भी है क्योंकि इसके लिए तमाम आवश्यक प्रबंध एवं उपाय किए जा रहे हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1120 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।