iGrain India - वैंकुवर । इंटरनेशनल ग्रेन्स कौंसिल (आईजीसी) ने विश्व स्तर पर सोयाबीन का बकाया अधिशेष स्टॉक बढ़कर 754 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो गत वर्ष से 13 प्रतिशत तथा पंचवर्षीय औसत स्तर से 31 प्रतिशत अधिक होगा। दिलचस्प तथ्य यह है कि आईजीसी के इस आंकड़े में चीन में उपलब्ध स्टॉक शामिल नहीं है।
इसका मतलब यह हुआ कि 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में सोयाबीन का विशाल वैश्विक भंडार मौजूद रहेगा जो सोयाबीन, सोयातेल एवं सोयामील सहित अन्य तिलहनों, तेलों एवं डीओसी की कीमतों पर दबाव बरकरार रख सकता है। इसमें कैनोला भी शामिल है। इससे खासकर कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया के उत्पादकों को नुकसान होगा।
ब्रिटेन के कृषि एवं बागवानी विकास बोर्ड के एक वरिष्ठ विश्लेषक का कहना है कि विशाल बकाया स्टॉक से सोयाबीन बाजार पर दबाव पड़ेगा जिससे अन्य तिलहनों का बाजार भी प्रभावित होगा। यदि सोयाबीन तथा कैनोला के उत्पादन को किसी प्राकृतिक आपदा से कोई खतरा नहीं हुआ तो तिलहन-तेल बाजार पर दबाव बढ़ना लगभग निश्चित हो जाएगा।
पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान कैनोला / रेपसीड का बिजाई क्षेत्र कनाडा में 3.1 प्रतिशत तथा यूरोपीय संघ में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। ज्ञात हो कि पिछले सीजन के दौरान वैश्विक उत्पादन में इन दोनों क्षेत्रों की भागीदारी संयुक्त रूप से 44 प्रतिशत के करीब रही थी।
कनाडा दुनिया में कैनोला का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है। अमरीका, कनाडा, यूरोप में सोयाबीन तथा कैनोला की बिजाई आरंभ हो चुकी है जबकि ब्राजील-अर्जेन्टीना में सोयाबीन फसल की कटाई-तैयारी हो रही है।
इधर ऑस्ट्रेलिया में भी कैनोला फसल की खेती की प्रक्रिया शुरू हो रही है। हालांकि विशाल स्टॉक के कारण सोयाबीन का वायदा भाव नवम्बर डिलीवरी के लिए औसतन 10.80 डॉलर प्रति बुशेल रहने का अनुमान लगाया गया है मगर फिलहाल यह उससे करीब 1 डॉलर प्रति बुशेल ऊपर चल रहा है।
इससे संकेत मिलता है कि सोयाबीन के दाम में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। अमरीका में सितम्बर-अक्टूबर से नई फसल आने लगती है।