iGrain India - चंडीगढ़ । अनाकर्षक बाजार भाव एवं कीड़ों-रोगों के बढ़ते प्रकोप के कारण चालू वर्ष के दौरान उत्तरी क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान) में कपास का बिजाई क्षेत्र 20 से 30 प्रतिशत तक घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
वहां मध्य अप्रैल से कपास की बिजाई का सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो जाता है और कमोबेश 15-20 मई तक जारी रहता है। दूसरी ओर मध्यवर्ती क्षेत्र (गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश) तथा दक्षिणी क्षेत्र (तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु) में कपास का क्षेत्रफल सामान्य या गत वर्ष के लगभग बराबर होने की संभावना है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिति इस बार सामान्य रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। यदि प्रीमियम क्वालिटी की कपास के हाईब्रिड बीज का अभाव नहीं रहा तो देश के मध्यवर्ती एवं दक्षिणी राज्यों में बिजाई बेहतर हो सकती है क्योंकि वहां फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम रहता है।
हाल के महीनों में देश से रूई के निर्यात की गति तेज रही है और कीमत भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार के सापेक्ष आकर्षक स्तर पर चल रही है।
कपास बीज उद्योग को पिछले साल शुष्क मौसम के कारण खासकर कर्नाटक में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आंध्र प्रदेश में भी बीज का उत्पादन कम होने की खबर आ रही है।
अनेक राज्यों में भयंकर गर्मी के कारण कपास बीज की मांग अभी जोर नहीं पकड़ पाई है। उत्तरी क्षेत्र में बीज का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है मगर गेहूं फसल की कटाई में देर होने से किसानों को कपास की बिजाई का समुचित अवसर नहीं मिल रहा है। देश में करीब 60 प्रतिशत रूई का उत्पादन मध्यवर्ती क्षेत्र में होता है।