iGrain India - हैदराबाद । वर्तमान समय में चावल का वैश्विक बाजार भाव घटकर 600 डॉलर प्रति टन के करीब या उससे भी नीचे आ गया है लेकिन जून-जुलाई में जब एशियाई देशों में मानसून की हालत तथा उत्पादन के परिदृश्य की स्पष्ट तस्वीर उभरकर सामने आएगी तब इसके दाम में कुछ इजाफा होने की संभावना बन सकती है।
मालूम हो कि चावल का सर्वाधिक उत्पादन एशिया में होता है जहां चीन, भारत, बांग्ला देश, इंडोनेशिया, थाईलैंड तथा वियतनाम इसके प्रमुख उत्पादक देश है। इसके अलावा पाकिस्तान, म्यांमार, कम्बोडिया एवं फिलीपींस सहित कई अन्य देशों में भी चावल का अच्छा उत्पादन होता है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार भारत में जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन होगा और तब तक लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया भी समाप्त हो जाएगी। यदि चावल का स्टॉक बेहतर रहा तो सरकार सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध में कुछ रियायत देने पर विचार कर सकती है।
वर्तमान समय में भारतीय सेला चावल का फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) निर्यात ऑफर मूल्य 515-520 डॉलर प्रति टन चल रहा है। वैश्विक मांग कमजोर पड़ने से कीमतों में नरमी आ रही है। खरीफ कालीनधान की सरकारी खरीद पूरी होने के बाद अब रबी कालीन अनाज की खरीद आरंभ हो गई है।
भारतीय सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा निर्यात खेपों की गहन जांच-पड़ताल किए जाने से स्टीम एवं सफेद चावल का निर्यात पूरी तरह बंद हो गया है।
इससे सेला चावल का निर्यात मूल्य थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार भारतीय सेला चावल का निर्यात मूल्य अभी 537-541 डॉलर प्रति टन चल रहा है जिसमें शिपमेंट खर्च भी शामिल है।
सीआईएफ आधार पर थाईलैंड के चावल का निर्यात मूल्य 604 डॉलर प्रति टन तथा पाकिस्तान के चावल का निर्यात मूल्य 601-605 डॉलर प्रति टन चल रहा है।