iGrain India - मंगलोर । देश में थाईलैंड एवं इंडोनेशिया सहित कुछ अन्य देशों से सुपारी के बढ़ते आयात से चिंतित कर्नाटक के उत्पादकों ने सरकार से इस पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाने की जोरदार मांग की है।
उसका कहना है कि कर्नाटक में सुपारी का पर्याप्त एवं अधिशेष उत्पादन होता है और वहां इसके आयात की कोई जरुरत नहीं है। कर्नाटक और केरल से देश के विभिन्न भागों में सुपारी की आपूर्ति की जाती है।
दक्षिण कन्नड़ जिले के उत्पादकों के अनुसार भारत में सुपारी की पर्याप्त पैदावार होने से आपूर्ति एवं उपलब्धता की कोई समस्या नहीं रहती है और कीमतों में भी काफी हद तक स्थिरता बनी रहती है। ऐसी स्थिति में विदेशों से इसके आयात की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद आयात को प्रोत्साहन मिल रहा है।
कुछ समय पूर्व तक शिवमोगा जिला सुपारी का सबसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्र था जबकि दूसरे स्थान पर दक्षिण कन्नड़ जिला था। वहां कर्नाटक के 70 प्रतिशत से भी अधिक सुपारी का उत्पादन होता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान दक्षिण कन्नड़ जिले में सुपारी के उत्पादन में लगभग दोगुनी बढ़ोत्तरी हो गयी।
हालांकि वहां फ्रूट रोट एवं यैलो लीफ डिजीज जैसे कीड़ों-रोगों का अक्सर भयंकर प्रकोप देखा जाता है लेकिन फिर भी किसान कई कारकों से प्रभावित होता है जिसमें विदेशों से बढ़ता आयात एवं घरेलू मांग के उतार-चढ़ाव आदि मुख्य रूप से शामिल हैं।
समझा जाता है कि विदेशों से सस्ते दाम पर हल्की क्वालिटी की सुपारी का भारी आयात करके उसे घरेलू बाजार में उतारा जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों में तो कई बार इसकी स्मगलिंग की खबर आती रही है।
केंद्र सरकार ने सुपारी के आयात को नियंत्रित करने के लिए कई आवश्यक एहतियाती उपाय किये हैं। सुपारी पर 110 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है। इससे बचने के लिए अक्सर तस्करी का सहारा लिया जाता है। चालू वर्ष के आरम्भ में मूंदड़ा बंदरगाह पर 27.81 टन सुपारी की एक खेप जब्त की गयी थी जिसे इंडोनेशिया से मंगाया गया था।