iGrain India - नई दिल्ली । रबी कालीन फसलों की आवक तथा विदेशों से आयात जारी रहने के बावजूद दाल-दलहनों के घरेलू बाजार भाव में आ रही तेजी से केंद्र सरकार बेहद चिंतित और परेशान है।
चूंकि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इलेक्शन के बीच दाल-दलहन का ऊंचा भाव आम मतदाताओं की कठिनाई बढ़ा सकता है इसलिए सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए फ़ौरन सक्रिय हो गयी है।
उसने दालों का अनावश्यक स्टॉक रोकने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के न केवल संकेत दिए हैं बल्कि इसके लिए जरुरी प्रयास भी आरम्भ कर दिया है। मार्च 2024 में दाल-दलहनों की दूसरी महंगाई दर उछलकर 17.7 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी जो मार्च 2023 में 4.4 प्रतिशत ही रही थी।
अरहर (तुवर) एवं उड़द का भाव अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है जबकि अन्य दलहनों के दाम में वरिष्ठ अधिकारियों का दल भेजने का निर्णय लिया गया है।
ज्ञात हो कि विभिन्न सम्बद्ध पक्षों को दाल-दलहनों के स्टॉक के विवरण का खुलासा साप्ताहिक आधार पर करने का निर्देश पहले ही दिया जा चुका है और व्यापारिक प्रतिष्ठानों द्वारा इसका पालन भी किया जा रहा है।
समझा जता है कि अब तक 30 से 40 लाख टन के बीच स्टॉक घोषित हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि दलहनों के इस घोषित स्टॉक को खुले बाजार में उतारा जाना चाहिए था लेकिन कीमतों पर कोई अनुकूल असर नहीं पड़ने से सरकार को कुछ संदेह होने लगा है और इसलिए उसने इस सम्पूर्ण मामले की गहन जांच करने का फैसला किया है।
विदेशों से तुवर, उड़द एवं मसूर के साथ-साथ खासकर पीली मटर का भारी आयात हो रहा है जबकि रबी सीजन में उत्पादित चना, मसूर एवं मटर की घरेलू फसल की आपूर्ति का पीक सीजन भी चल रहा है।
प्रथम चरण के दौरान सात राज्यों में अधिकारियों का दल भेजने का प्लान बनाया गया है जिसमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं गुजरात भी शामिल हैं। वहां ये अधिकारी दाल मिलों, गोदामों एवं मंडियों का निरिक्षण-परिक्षण करके वस्तु स्थिति का पता लगाएंगे।