iGrain India - मंगलोर । दक्षिण भारत के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में लम्बे समय से अच्छी बारिश नहीं होने तथा मौसम गर्म एवं शुष्क रहने से सुपारी का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। स्टॉक की कमी एवं अच्छी मांग के कारण इसके दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन एवं प्रतिकूल मौसम का सीधा असर सुपारी के उत्पादन पर देखा जा रहा है। लाल किस्म की सुपारी के दाम में पिछले एक माह के दौरान लगभग 10 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है।
समीक्षकों के मुताबिक चन्नागिरी और शिवमोगा जैसी प्रमुख थोक मंडियों (एपीएमसी) में लाल सुपारी की राशि वैरायटी का भाव मार्च में 488 रुपए प्रति किलो के उच्चतम स्तर पर पहुंचा था जो 29 अप्रैल 2024 को उछलकर 536 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया।
विश्लेषकों के अनुसार लाल सुपारी का अभाव महसूस किया जा रहा है क्योंकि अनेक उत्पादक पहले ही अपने अधिकांश स्टॉक की बिक्री कर चुके हैं। इसके अलावा आगामी समय में इसका उत्पादन भी प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि कई क्षेत्रों में सूखे जैसा माहौल बना हुआ है।
दावणगेरे जिले के चन्नागिरी ताल्लुक को लाल सुपारी का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। वहां एक झील के पानी से ऊपरी बागानों की सिंचाई होती रही है मगर इस बार वह झील ही सूख गई है।
जहां तक सफेद सुपारी का सवाल है तो इसका भाव अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है। पिछले एक माह के दौरान इसमें मामूली सुधार आया है।
सफेद सुपारी के नए माल का दाम 360 रुपए एवं पुराने स्टॉक का भाव 440 रुपए प्रति किलो बढ़ाया जा रहा है जो मार्च में क्रमश: 345 रूपये तथा 415 रुपए प्रति किलो था।
कैम्पको ने 26 मार्च से 6 अप्रैल तक सुपारी की खरीद स्थगित कर दी थी जिससे सफेद सुपारी का भाव काफी हद तक स्थिर हो गया है।