iGrain India - त्रिची । राइस मिलर्स ने सरकार से प्री-पैक्ड एवं प्री-लेबल्ड चावल पर लगे 5 प्रतिशत के वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को वापस लेने का आग्रह किया है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी कौंसिल ने जून 2022 की अपनी एक महत्वपूर्ण मीटिंग में 25 किलो तक की थैली में पैक चावल पर 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का निर्णय लिया था।
इससे चावल का दाम बढ़ गया और कमजोर आय वर्ग के लोगों को कठिनाई होने लगी जो आमतौर पर 5 किलो या 10 किलो की थैली में चावल खरीदते हैं।
फेडरेशन ऑफ तमिलनाडु राइस मिल ऑनर्स तथा पैडी- राइस डीलर्स एसोसिएशन की आम सभा पिछले दिन त्रिची में आयोजित हुई थी जिसमें सरकार से चावल की 25 किलो तक के पैक पर लागू 5 प्रतिशत के जीएसटी को तत्काल वापस लेने की मांग की गई।
मीटिंग में पारित संकल्प के अनुसार उदारीकरण के बाद समूचे देश को एक एकल फूड जोन के रूप में माना गया और राइस मिलर्स तथा व्यापारियों द्वारा बिना किसी बाधा या नियंत्रण के चावल का निर्बाध परिवहन किया जाता रहा लेकिन जीएसटी कौंसिल के निर्णय से उसका कारोबार बुरी तरह प्रभावित होने लगा है।
इसे देखते हुए केन्द्र सरकार को अपना निर्णय वापस लेना चाहिए। इसी तरह चावल की भूसी को जीएसटी से मुक्त रखना चाहिए। साल्वेंट प्लांटों को जो भूसी भेजी जाती है उस पर 5 प्रतिशत का जीएसटी लगता है मगर कैटलफीड के रूप में इसकी बिक्री पर कोई टैक्स लागू नहीं है।