iGrain India - नई दिल्ली । भारत को यूरोपीय संघ में बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेतक (जी आई) का टैग प्राप्त हो सकता है बशर्ते दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे के उत्पादों के लिए जी आई टैग प्रदान करने हेतु करार सम्पन्न हो जाए।
यह करार चालू वर्ष के अंतिम महीनों में होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि जीआई टैग के मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए भारतीय और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के बीच अब तक छह दौर की बातचीत हो चुकी है। प्रत्येक दौर की बातचीत में कुछ न कुछ सकारात्मक परिणाम अवश्य निकला।
12 एवं 13 मार्च को दोनों पक्षों के बीच दो सत्रों में विचार-विमर्श हुआ। इसकी खास उपलब्धि यह रही कि अप्रैल के अंत तक जी आई वाले उत्पादों की संक्षिप्त सूची का आदान-प्रदान करने पर सहमति बन गई।
दोनों पक्ष ऐसे 200 उत्पादों का नाम जमा करेंगे जिसके लिए वे जी आई टैग चाहते हैं। भारत द्वारा बासमती चावल तथा 199 अन्य उत्पादों की सूची यूरोपीय संघ को सौंपी जाएगी।
एक अग्रणी विश्लेषकों के अनुसार भारत और यूरोपीय संघ व्यापार से संबंधित बौद्धिक सम्पदा अधिकार (ट्रिप्स) के आर्टिकल 23 के अंतर्गत अधिक से अधिक संरक्षण प्राप्त करना चाहते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि भारत बासमती चावल हेतु जी आई टैग के लिए संघर्ष में विजेता बनकर उभरेगा। इससे भारत को बासमती चावल के निर्यात में 4 लाख टन की बढ़ोत्तरी करने में सहायता मिलेगी और 50 करोड़ डॉलर के यूरोपीय संघ के बाजार का पूरा फायदा उठाना संभव हो जाएगा।
यदि दोनों पक्षों के बीच करार पर सहमति बन गई तो यूरोपीय संघ में बासमती चावल के लिए पाकिस्तान द्वारा जी आई टैग हासिल करने के प्रकरण समाप्त हो जाएगा। यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत और पाकिस्तान-दोनों को जी आई टैग दिया जाए मगर भारत ने इस सुझाव को नामंजूर कर दिया।