iGrain India - तिरुअनन्तपुरम । भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च-अप्रैल 2024 के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मानसून-पूर्व की बारिश 13 प्रतिशत कम हुई। डेढ़ दर्जन राज्यों में इन दो महीनों के दौरान वर्षा बहुत कम या नगण्य हुई जिसमें दक्षिण भारत के लगभग सभी प्रान्त भी शामिल हैं।
कम या नगण्य वर्षा तथा ऊंचे तापमान के कारण करीब आधा दर्जन जलाशय सूख गए जिससे फसलों की सिंचाई के साथ-साथ पेयजल के लिए भी संकट उत्पन्न हो गया। हालत वहां अभी गंभीर बनी हुई है।
दूसरी ओर अधिकांश उत्तरी एवं मध्यवर्ती राज्यों में इस अवधि के दौरान सामान्य स्तर से काफी अधिक बारिश हुई। पश्चिमोत्तर प्रांतों में वर्षा की स्थिति सामान्य रही जबकि पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में बारिश कुछ कम हुई।
मार्च-अप्रैल के दो महीनों में सामान्य स्तर के मुकाबले आंध्र प्रदेश में 78 प्रतिशत, तमिलनाडु में 83 प्रतिशत, केरल में 62 प्रतिशत, तेलंगाना में 58 प्रतिशत और कर्नाटक में 53 प्रतिशत कम बारिश हुई जिससे वहां पानी का भारी अभाव महसूस किया जा रहा है।
वर्षा कम होने से दक्षिण भारत में जलवायु की स्थिति में भारी बदलाव हो गया है। वहां तापमान बढ़कर सामान्य स्तर से ऊंचा हो गया है और हीट वेव (लू) का प्रकोप बढ़ने की आशंका है।
पश्चिमी राज्यों में भी भीषण गर्मी पड़ने लगी है। इससे जायद फसलों को नुकसान हो सकता है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा में अच्छी बारिश हुई है।