iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत लगभग एक करोड़ टन गेहूं एवं चावल की बिक्री करने से खाद्य सब्सिडी की राशि में करीब 20,000 करोड़ रुपए की भारी कटौती करने का अवसर मिल गया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में संशोधित अनुमान के साथ कुल खाद्य सब्सिडी की राशि 2.12 ट्रिलियन रुपए रही जिसमें से 1.40 ट्रिलियन रुपए की सब्सिडी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से दी गई।
एफसीआई का वास्तविक व्यय तो 1.60 ट्रिलियन रुपए रहा मगर इसमें से उसे 20,000 करोड़ रुपए घटाने का अवसर मिल गया जो उसे गेहूं एवं चावल की खुली बिक्री से प्राप्त हुआ। यदि खाद्यान्न की कुल आर्थिक लागत के आधार पर गेहूं और चावल की बिक्री होती तो खाद्य सब्सिडी में और भी कमी आ सकती थी।
ओएमएसएस के तहत खाद्यान्न की बिक्री के सपेक्ष खाद्य निगम को तत्काल भुगतान भी मिलता रहा। इसके अलावा केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से भी निगम को खाद्य सब्सिडी व्यय का भुगतान जल्दी-जल्दी किया गया।
इससे खाद्य निगम को 372 करोड़ रुपए के ब्याज भुगतान से राहत मिल गई। यदि भुगतान देर से किया जाता तो उसे इतनी राशि का ब्याज उन बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को चुकाना पड़ता जिससे उसने ऋण ले रखा था। आमतौर पर निगम को पूर्ववर्ती वर्षों में फंड जारी होने में देर होने के कारण बैंकों से अल्पकालीन कर्ज लेना पड़ता था।
उल्लेखनीय है कि ओएमएसएस के तहत 28 जून 2023 से गेहूं की बिक्री शुरू हुई थी और 28 फरवरी 2024 तक 94.10 लाख टन की रिकॉर्ड बिक्री हो गई। चावल की बिक्री इसके मुकाबले बहुत कम हुई। केन्द्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक घटकर काफी नीचे आ गया।