iGrain India - झांसी । हालांकि रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण दलहन फसल-मसूर की कटाई-तैयारी लगभग समाप्त हो गई है लेकिन मंडियों में इसकी आपूर्ति की गति धीमी देखी जा रही है क्योंकि वहां इसका भाव केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 6425 रुपए प्रति क्विंटल (740 डॉलर प्रति टन) के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहा है।
भारत में मुख्यत: लाल मसूर का उत्पादन होता है। समझा जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करीब 65 हजार टन मसूर की खरीद की गई है।
केन्द्रीय एजेंसी- नैफेड द्वारा भी चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान 2-3 लाख टन मसूर की खरीद किए जाने की संभावना है। वर्तमान समय में दो केन्द्रीय एजेंसियों- नैफेड तथा एनसीसीएफ के पास लगभग 6 लाख टन लाल मसूर का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है जिसकी खरीद 2023 एवं 2022 के सीजन में की गई थी।
समीक्षकों के अनुसार आमतौर पर गर्मी के महीनों में दलहनों और खासकर मसूर की घरेलू मांग एवं खपत घट जाती है। जून तक कमोबेश यही स्थिति रहती है मगर जुलाई से मांग पुनः बढ़नी शुरू हो जाती है।
घरेलू मंडियों में लाल मसूर का थोक भाव 6150-6250 रुपए प्रति क्विंटल के बीच स्थिर बना हुआ है जो 710 डॉलर प्रति टन के समतुल्य है। मई, जून, जुलाई शिपमेंट के लिए न्हावा शेवा बंदरगाह तक पहुंच के वास्ते लाल मसूर मशीन क्लीन का भाव 730-735 डॉलर तथा सामान्य श्रेणी का भाव 710-715 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है। इसकी आगामी नई फसल के लिए जो अग्रिम अनुबंध हो रहे हैं उसके तहत भी मसूर का दाम लगभग इसी स्तर पर चल रहा है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के शुरूआती 11 महीनों में यानी अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के दौरान भारत में मसूर का आयात उछलकर 16 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो 2022-23 वित्त वर्ष के आयात 8.58 लाख टन से काफी अधिक है। मसूर का सर्वाधिक आयात ऑस्ट्रेलिया एवं कनाडा से हुआ।