iGrain India - मुम्बई । शीर्ष व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के चेयरमैन ने कहा है कि फिलहाल खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना मुश्किल है लेकिन यदि दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की अच्छी बारिश हुई
और किसानों को उसके उत्पादों का आकर्षक मूल्य प्राप्त रहा तो दलहन फसलों की खेती में उसकी दिलचस्पी बढ़ सकती है। पिछले साल कम वर्षा के कारण तुवर, उड़द एवं मूंग के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आ गई थी और इसका उत्पादन भी घट गया था।
मौसम विभाग ने चालू वर्ष के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की हालत अच्छी रहने तथा जून-सितम्बर 2024 के चार महीनों में वर्षा सामान्य औसत स्तर से ज्यादा होने की संभावना व्यक्त की है क्योंकि अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव समाप्त हो रहा है और ला नीना मौसम चक्र का आगमन होने वाला है जो भारतीय मानसून का हितैषी माना जाता है।
चूंकि बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है इसलिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात तथा मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में खरीफ कालीन दलहन फसलों की अगैती बिजाई में बाधा पड़ने की आशंका है।
तुवर एवं उड़द का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है जो किसानों के लिए आकर्षक का केन्द्र बन सकता है। वे इसका क्षेत्रफल बढ़ाने का भरपूर प्रयास कर सकते है।