iGrain India - नई दिल्ली । रबी सीजन के सबसे प्रमुख खाद्यान्न- गेहूं की नई फसल की कटाई-तैयारी अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में अब अंतिम चरण में पहुंच गई है और मंडियों तथा सरकारी क्रय केन्द्रों में इसकी आवक तथा खरीद भी की जाती है। सरकारी खरीद गत वर्ष से पीछे है और खासकर मध्य प्रदेश तथा पंजाब में एजेंसियों को पर्याप्त मात्रा में गेहूं खरीदने का अवसर नहीं मिल रहा है। हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में इस बार पिछले साल से अधिक गेहूं की खरीद हुई है लेकिन प्रत्येक प्रान्त में लक्ष्य तक इसकी पहुंच होने में संदेह है।
दिल्ली
27 अप्रैल से 3 मई वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली में यूपी / राजस्थान के गेहूं का भाव 30 रुपए सुधरकर 2480/2500 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इसी तरह गुजरात के गोंडल में भी दाम 50 रुपए तेज रहा मगर मध्य प्रदेश के डबरा में 25 रुपए तथा भोपाल में 50 रुपए प्रति क्विंटल नरम पड़ गया। राजस्थान के एवं बूंदी में गेहूं का मूल्य पिछले स्तर पर स्थिर रहा लेकिन बारां में 55 रुपए बढ़कर 2300/2785 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के दाम में 10-20 रुपए प्रति क्विंटल का उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। वहां मैनपुरी में वह 26 रुपए बढ़कर 2251 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा। गोरखपुर में भी 20 रुपए की तेजी रही।
आवक
गेहूं की दैनिक आवक दिल्ली में 4-6 हजार बोरी रही। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में गेहूं की अच्छी आवक हो रही है मगर अब रफ्तार एवं मात्रा घटने लगी है। दिलचस्प तथ्य यह है कि सरकार ने इस बार 1120.20 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाते हुए करीब 373 लाख टन की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है मगर मंडियों में उसके अनुरूप आवक नहीं हो रही है और न ही सरकारी खरीद में कोई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इससे कुछ संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है।