iGrain India - भोपाल । हालांकि शुरूआती चरण में धीमा रहने के बाद अब गेहूं की सरकारी खरीद की गति तेज होती जा रही है लेकिन फिर भी सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक इसका पहुंचना मुश्किल लग रहा है।
दरअसल केन्द्रीय पूल में गेहूं का सर्वाधिक योगदान देने वाले दो राज्यों- पंजाब तथा मध्य प्रदेश में खरीद काफी पीछे चल रही है। पंजाब में तो खरीद की हालत कुछ ठीक है मगर मध्य प्रदेश में बहुत कमजोर देखी जा रही है जहां 80 लाख टन के नियत लक्ष्य की तुलना में वास्तविक खरीद अभी 50 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंची है और क्रय केन्द्रों पर आवक की गति धीमी पड़ती जा रही है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि मध्य प्रदेश में इस बार किसानों से 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जा रहा है और वहां गेहूं की क्वालिटी संबंधी नियमों-शर्तों में भारी रियायत भी दी गई है लेकिन फिर भी खरीद की गति जोर नहीं पकड़ रही है।
मध्य प्रदेश में आंधी-तूफान, बेमौसमी वर्षा एवं ओलावृष्टि से गेहूं की क्वालिटी बुरी तरह प्रभावित होने की खबर मिल रही है। इसके अलावा आगामी महीनों के दौरान बाजार भाव ऊंचा एवं तेज होने की आशा से बड़े-बड़े उत्पादक अपने गेहूं के स्टॉक को रोकने का प्रयास कर रहे हैं जिससे सरकारी क्रय केन्द्रों पर कम मात्रा में अनाज पहुंच रहा है।
भारतीय खाद्य निगम के एक अधिकारी का कहना है कि मध्य प्रदेश प्रदेश की मंडियों में आने वाला अधिकांश गेहूं मिटटी में सना हुआ रहता है जो खरीद के लिए स्वीकार्य नहीं है।
खाद्य निगम द्वारा अस्वीकार किए जाने के कारण ऐसा लगता है कि किसान इस गेहूं की साफ़-सफाई करेंगे और इसके बाद से इसे बेचने के लिए लाएंगे। इंदौर संभाग में फरवरी-मार्च के दौरान हुई बेमौसमी वर्षा ने गेहूं की क्वालिटी खराब कर दी।
मध्य प्रदेश में इस बार मार्च में ही गेहूं की सरकारी खरीद का अभियान आरंभ हो गया था लेकिन शुरुआत में इसकी गति धीमी रही। पिछले दो सप्ताहों के दौरान रफ्तार कुछ बढ़ी मगर विशाल लक्ष्य के मुकाबले खरीद बहुत कम हुई है।
मध्य प्रदेश में पिछले सप्ताह तक केवल 37 लाख टन गेहूं खरीदा जा सका जो गत वर्ष से 35 प्रतिशत कम था।