iGrain India - मुम्बई । यद्यपि अरहर (तुवर) की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति जटिल बनी हुई है क्योंकि घरेलू उत्पादन घटने के साथ-साथ विदेशों से भी इसका सीमित आयात हो रहा है लेकिन अब ऊंचे दाम पर मांग कमजोर पड़ने तथा अन्य अपेक्षाकृत सस्ते दलहनों का विकल्प मौजूद रहने से निकट भविष्य में इस महत्वपूर्ण दलहन (तुवर) के रूप में ज्यादा तेजी आना मुश्किल लगता है। व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक तुवर का भाव काफी हद तक एक निश्चित सीमा में स्थिर रहने की उम्मीद है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) की रिपोर्ट के अनुसार तुवर का उत्पादन घरेलू मांग से काफी कम हुआ है मगर उपभोक्ताओं का रूझान अब सस्ते दलहनों की तरफ बढ़ गया है।
दलहनों की क्रशिंग तो सामान्य ढंग से हो रही है मगर इसमें भी तुवर की मांग कम है। मिलर्स केवल तात्कालिक जरूरतों (क्रशिंग) को पूरा करने के लिए तुवर की खरीद कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार भी साबुत तुवर एवं इसकी दली दाल की कीमतों पर गहरी नजर रखे हुए हैं जिससे बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है।
सरकार का आंकलन है कि तुवर बाजार में सटोरिया प्रवृत्ति के कारण तेजी का माहौल बना हुआ है। फरवरी में ही उपभोक्ता मामले सचिव ने आयात किया था कि यदि तुवर एवं उड़द में अनावश्यक सटोरिया गतिविधि जारी रही,
जिसका मांग एवं आपूर्ति के समीकरण के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है तो सरकार को वास्तव में कुछ सख्त निर्णय लेने के लिए विवश होना पड़ेगा।
दलहन आयात के लिए एक-दो देशों पर ही निर्भरता को घटाने के उद्देश्य सरकार अब ब्राजील तथा अर्जेन्टीना सहित कई अन्य देशों के साथ करार का प्रयास कर रही है जहां तुवर एवं उड़द जैसे दलहनों के उत्पादन के लिए मौसम, मिटटी एवं जलवायु की स्थिति अनुकूल रहती है।
पिछले सप्ताह देश के अधिकांश भागों में तुवर का भाव लगभग स्थिर बना रहा मगर इसका स्तर ऊंचा ही दर्ज किया गया। इसमें नरमी आने में कुछ समय लग सकता है।
अगले महीने से खरीफ कालीन दलहन फसलों और खासकर अरहर, उड़द एवं मूंग की बिजाई आरंभ होने वाली है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुरूप यदि दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश हुई और तुवर के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोतरी का संकेत मिला तो बाजार की अवधारणा निश्चित रूप से प्रभावित होगी और तुवर की आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद रहेगी।