iGrain India - नई दिल्ली । स्वदेसी चीनी उद्योग की शीर्ष संस्था- इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा है कि पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना संभव है लेकिन इसके लिए सरकार की नीतियों में स्थिरता होना और गन्ना उत्पादन में निवेश बढ़ाना आवश्यक है।
इस्मा ने नीतिगत सहयोग- समर्थन और किसानों की सहायता मिलने के आधार पर 55 प्रतिशत और यहां तक कि 60 प्रतिशत एथनॉल आपूर्ति का योगदान देने हेतु एक रोडमेप का प्रस्ताव रखा है।
इस्मा के मुताबिक अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से इस बार गन्ना की पैदावार घटने के कारण अचानक एथनॉल के उत्पादन को सीमित रखना पड़ा है।
मध्य दिसम्बर से ही शुगर सीरप एवं बी हैवी शीरा (बीएचएम) से एथनॉल का निर्माण रोक दिया गया। इसका मतलब यह हुआ कि केवल 20 लाख टन चीनी का उपयोग एथनॉल निर्माण में संभव हो सकेगा जो करीब 200 करोड़ लीटर एथनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त है।
चीनी उत्पादन आंकड़े के आधार पर करीब 25 लाख टन अतिरिक्त चीनी का उपयोग एथनॉल निर्माण में किया जा सकता था जिससे 250 लाख लीटर एथनॉल के समतुल्य होता और इसके बाद पूरे मार्केटिंग सीजन में 285 लाख टन चीनी की घरेलू मांग एवं जरूरत को भी आसानी से पूरा कर लिया जाता।
इसके बावजूद उद्योग के पास सीजन के अंत में करीब 66 लाख टन चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद रहता जो अगले मार्केटिंग सीजन के शुरूआती तीन महीनों की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होता।
लेकिन सरकार ने इस 25 लाख टन अतिरिक्त चीनी के स्टॉक का न तो निर्यात करने की अनुमति दी और न ही एथनॉल निर्माण में इसके उपयोग की स्वीकृति प्रदान की। इससे उद्योग पर चीनी के विशाल बकाया स्टॉक का दबाव पड़ रहा है।
यदि सरकार की नीतियों में बदलाव नहीं हुआ तो चीनी उद्योग को भविष्य में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने में भारी कठिनाई होगी और अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इससे सरकार को भी आर्थिक नुकसान हो सकता है।