iGrain India - नई दिल्ली । बाजरा मुख्यत: खरीफ कालीन मोटा अनाज है जबकि रबी सीजन में इसकी खेती अत्यन्त सीमित क्षेत्रफल में होती है।
ग्रीष्मकाल या जायद सीजन के दौरान 4-5 लाख हेक्टेयर में इसकी बिजाई होती है जिसमें गुजरात की भागीदारी सबसे ज्यादा रहती है।
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जायद सीजन के दौरान बाजरा का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 4.45 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस बार 26 अप्रैल तक 4.65 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
इसके तहत गुजरात में बिजाई क्षेत्र 3.16-3.17 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रहा और महाराष्ट्र में भी 32-33 हजार हेक्टेयर पर इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ मगर उत्तर प्रदेश में उत्पादन क्षेत्र 64 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 88 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया। देश के अन्य राज्यों में 28-30 हजार हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई हुई।
खरीफ कालीन बाजरा के नए माल की आवक सितम्बर-अक्टूबर 2023 में शुरू हो गई थी और अब सात माह का समय बीत चुका है।
इसके फलस्वरूप प्रमुख उत्पादक मंडियों में बाजरा की आवक बहुत कम हो रही है जबकि कीमत काफी ऊंचे स्तर पर है। इससे कारोबार की रफ्तार धीमी पड़ गई है।
उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए बाजरा की आपूर्ति की जा रही है मगर कहा जा रहा है कि उसका कुछ भाग वास्तविक लाभार्थियों तक न पहुंच कर बाजार में पहुंच रहा है। इसके फलस्वरूप कीमतों में थोड़ी नरमी आ गई है। बाजरा भी श्री अन्न या पोषक अनाज की श्रेणी में शामिल है।
खरीफ सीजन में बाजरा की खेती राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में होता है। इसका उत्पादन 145 लाख टन के करीब आंका गया था लेकिन पिछला बकाया स्टॉक नगण्य था।
पहले करीब 10-12 लाख टन बाजरा का बकाया स्टॉक मौजूद रहता था। बाजरा की मांग एवं खपत में 20 प्रतिशत का इजाफा होने के संकेत मिल रहे हैं।
बाजरा का भाव पहले 2180-2200 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ते हुए 2450-2475 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा था जो अब मौली बरवाला पहुंच में गिरकर 2170-2180 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है। अब इसमें ज्यादा तेजी आना मुश्किल लग रहा है।