iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने चालू वर्ष के दौरान गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1120.20 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जो वर्ष 2023 के उत्पादन 1105.50 लाख टन एवं 2022 के उत्पादन 1077 लाख टन से काफी ज्यादा है
लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है के वास्तविक उत्पादन आंका गया था। इस बार उसे 50-60 लाख टन अधिक गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने लगाया है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के अनुसार यद्यपि गेहूं का उत्पादन बेहतर होने की संभावना व्यक्त की जा रही है मगर मंडियों में तथा सरकारी क्रय केन्द्रों पर उसके अनुरूप इसकी आवक नहीं हो रही है।
दरअसल खरीद के लिए मंडियों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है। गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाने के लिए फेडरेशन ने अप्रैल में एक सर्वे करवाया था जिससे यह तथ्य सामने आया कि गत वर्ष के मुकाबले इस बार उत्पादन 3 प्रतिशत बढ़कर 1057.90 लाख टन पर पहुंच सकता है।
ध्यान देने वाली बात है कि अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने इस बार भारत में गेहूं का उत्पादन उछलकर 1125 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो न केवल भारत सराकर के अनुमान से 5 लाख टन ज्यादा है बल्कि उत्पादन का सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर भी है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मध्य प्रदेश और कुछ हद तक गुजरात को छोड़कर शेष सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, उत्तराखंड तथा महाराष्ट्र आदि में गेहूं फसल की हालत काफी अच्छी रही।
पंजाब में तो इस बार गेहूं की औसत उपज दर बढ़कर 5 टन (5000 किलो) प्रति हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
गेहूं का भाव सरकार द्वारा निर्धारित 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है लेकिन फिर भी मंडियों में इसकी आवक कम हो रही है।
किसान एमएसपी पर सरकार को अपना गेहूं बेचने के इच्छुक नहीं है और इसलिए स्टॉक को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इससे मिलर्स एवं व्यापारियों की खरीद पर भी असर पड़ रहा है।