iGrain India - नई दिल्ली । गेहूं मिलिंग- प्रोसेसिंग उद्योग ने केन्द्र सरकार से गेहूं के आयात पर लगे 40 प्रतिशत के सीमा शुल्क को तत्काल हटाने की मांग करते हुए कहा है कि घरेलू प्रभाग में गेहूं अभाव का संकट दूर करने तथा आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की सख्त आवश्यकता है।
गेहूं की सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है जबकि इसका पिछला बकाया स्टॉक भी घटकर गत 16 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गया था। इसे देखते हुए बाजार में तेजी को नियंत्रित करने के लिए सरकार को प्रभावी ढंग से हस्तक्षेप करने में कठिनाई हो सकती है।
सीमा शुल्क की समाप्ति से गेहूं का आयात बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने से सहायता मिलेगी। गेहूं का दाम पिछले दो वर्षों की तुलना में करीब 15-20 प्रतिशत ऊंचा चल रहा है।
1 अप्रैल 2024 में नया रबी मार्केटिंग सीजन आरंभ होने के समय सरकार के पास महज 75-76 लाख टन गेहूं का स्टॉक तथा हुआ था जो पिछले 16 वर्षों में सबसे कम था।
गेहूं का थोक मंडी भाव सरकार द्वारा घोषित 2275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रहा है। रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गेहूं के आयात की आवश्यकता महसूस हो रही है।
जब आपूर्ति के पीक सीजन में भाव समर्थन मूल्य से ऊंचा है तब आगामी महीनों में यानी आपूर्ति के ऑफ सीजन में इसका दाम और भी तेज होना स्वाभाविक ही है।
उल्लेखनीय है कि एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने 20 मई को केन्द्र सरकार के अधिकारियों से मुलाकात करके गेहूं पर आयात शुल्क को समाप्त करने का आग्रह किया।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के अनुसार पिछले 10 दिनों के अंदर गेहूं के अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य में 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हो गई।
यदि गेहूं के आयात पर लगे 40 प्रतिशत के सीमा शुल्क को हटा दिया जाए तो दक्षिण भारत के कुछ मिलों को विदेशों से इसका आयात करना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद साबित हो सकता है।