iGrain India - विजयवाड़ा । दाल मिलर्स एवं व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि 4 जून को आम चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद दालों की क़ीमतों में 20 से 30 प्रतिशत का भारी इजाफा हो सकता है।
पिछले चार-पांच महीनों के दौरान दाल-दलहन के दाम में 10-15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। जानकार सूत्रों के अनुसार दाल मिलर्स बड़ी बेसब्री से चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अपने उत्पाद की कीमतों में वृद्धि कर सके।
दरअसल मिलर्स को सख्त हिदायत दी गई है कि जब तक लोक सभा के चुनाव का परिणाम सामने नहीं आ जाता तब तक दालों में बढ़ोत्तरी न की जाए।
मिलर्स का कहना है कि घरेलू उत्पादन में गिरावट आने के कारण उन्हें काफी ऊंचे दाम पर किसानों से साबुत दलहनों की खरीद करनी पड़ी है लेकिन इसके अनुरूप दली दालों की कीमतों में बढ़ोत्तरी करने की इजाजत नहीं मिल रही है।
इससे इन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। मिलर्स को दालों का दाम स्थिर रखने के लिए कहा गया है। वर्तमान मूल्य स्तर पर दालों की बिक्री करने से लागत खर्च की वापसी भी नहीं हो रही है।
आंध्र प्रदेश भारत में दलहनों के प्रमुख उत्पादक एवं प्रोसेसर्स राज्यों में ये एक है। वहां से अन्य राज्यों को भारी मात्रा में तुवर दाल की आपूर्ति की जाती है।
यद्यपि भारत दुनिया में तुवर का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और वैश्विक उत्पादन में एक चौथाई से अधिक का योगदान देता है मगर विशाल घरेलू खपत तथा उत्पादन में गिरावट के कारण अक्सर विदेशों से भारी मात्रा में इसका आयात करना पड़ता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 सीजन के दौरान दलहन फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आने का अनुमान लगाया है जिससे इसका बाजार भाव ऊंचा एवं तेज हो गया।
मिलों को चालू रखने के लिए दाल मिलर्स को काफी ऊंचे दाम पर दलहनों की खरीद करनी पड़ रही है। दाल मिलर्स द्वारा घरेलू बाजार में 11,000 से 13,000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से तुवर की खरीद करके उसका स्टॉक बनाया गया है जो इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य 7000 रुपए प्रति क्विंटल से करीब 70 प्रतिशत ज्यादा है।
वैसे खुदरा बाजार में तुवर दाल का दाम भी छह माह पूर्व के 130 रुपए प्रति किलो से उछलकर अब 190-200 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गया है।