iGrain India - जयपुर । लम्बे समय तक सुस्त एवं नरम रहने के बाद हाल के दिनों में सरसों का भाव कुछ तेज हुआ है जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। सरसों तेल एवं सरसों खल की मांग में भी थोड़ी वृद्धि हुई है।
वैसे सरसों खल (रेपसीड एक्सट्रैक्शन) का निर्यात प्रदर्शन अब तक उत्साहवर्द्धक तो दूर, सन्तोषजक भी नहीं रहा है। नैफेड तथा हैफेड जैसी सरकारी एजेंसियों की खरीद एवं तेल तथा खल की अच्छी मांग के सहारे सरसों का भाव कुछ तेज हुआ है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चालू रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान 21 मई 2024 तक सरकारी एजेंसियों द्वारा कुल 18.88 लाख टन सरसों की खरीद की गई।
उसके तहत राजस्थान में 3.21 लाख टन, हरियाणा में 3.25 लाख टन, मध्य प्रदेश में 3.33 लाख टन, गुजरात में 1.00 लाख टन तथा उत्तर प्रदेश में 35 हजार टन सरसों की खरीद हुई जबकि हरियाणा सरकार की अधिकृत एजेंसी- हैफेड द्वारा राज्य में 7.74 लाख टन सरसों की खरीद अलग से की गई।
इसके अलावा इन एजेंसियों के पास 7.50 लाख टन सरसों का पिछला बकाया स्टॉक भी मौजूद था। इस तरह सरसों का कुल स्टॉक बढ़कर 26.38 लाख टन पर पहुंच गया जिसमें 18.88 लाख टन की खरीद एवं 7.50 लाख टन का पिछला स्टॉक शामिल है।
जयपुर के चांदपोल की अनाज मंडी में अवस्थित लोकप्रिय प्रतिष्ठान- मरुधर ट्रेडिंग एजेंसी के सीएमडी अनिल चतर के अनुसार सरसों तेल में तेजी का एक चरण आ चुका है जबकि दूसरा चरण तब आएगा जब अचार निर्माताओं की मांग बढ़ेगी।
यह दौर मध्य जून से आरंभ हो सकता है। सरकारी एजेंसियां जब अपने स्टॉक की बिक्री आरंभ करेंगी तब बाजार में स्थिरता का माहौल बन सकता है। किसानों से 5650 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सरसों खरीदा गया है।