iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि मध्य प्रदेश एवं गुजरात जैसे राज्यों में ग्रीष्मकालीन उड़द के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और आंध्र प्रदेश में रबी सीजन के उड़द का स्टॉक बचा हुआ है मगर विशेष कारणों से घरेलू बाजार में इसकी समुचित आपूर्ति नहीं हो रही है।
ग्रीष्मकाल या जायद सीजन के दौरान उड़द की खेती कम क्षेत्रफल में होती है। चालू वर्ष के दौरान जायद सीजन में उड़द का बिजाई क्षेत्र 3.50 लाख हेक्टेयर के आसपस रहा जो पिछले साल के क्षेत्रफल 3.25 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
सरकार ने उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6950 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है जबकि इसका खुला बाजार भाव 9000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊंचा चल रहा है।
पिछले दिन गुजरात की राजकोट मंडी में उड़द का दाम 9500-9700 रुपए प्रति क्विंटल तथा आंध्र प्रदेश की गुंटूर मंडी में 10,050 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
मध्य प्रदेश एवं गुजरात में अच्छी क्वालिटी की उड़द की आवक हो रही है और किसान इसे नीचे दाम पर बेचने से हिचक रहे हैं। इसमें दाल मिलर्स की अच्छी मांग देखी जा रही है।
आंध्र प्रदेश के किसान भी उड़द का स्टॉक दबाए हुए हैं। इससे विभिन्न मंडियों में उड़द की समुचित आपूर्ति नहीं हो रही है और कीमतों में तेजी- मजबूती का माहौल कायम है।
खरीफ कालीन उड़द की बिजाई शीघ्र ही आरंभ होने वाली है और इस बार इसके के क्षेत्रफल में इजाफा होने की उम्मीद है क्योंकि एक तो इसका बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा है और दूसरे, मानसून की बारिश भी अच्छी होने की संभावना है।
लेकिन नई फसल की कटाई-तैयारी चार माह के बाद शुरू होगी और तब तक घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता का दारोमदार म्यांमार से आयात पर निर्भर रहेगा।
वहां से इसका नियमित रूप से अच्छा आयात हो रहा है इसलिए कीमतों में आगे अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी होने की संभावना नजर नहीं आ रही है मगर इसमें ज्यादा नरमी की धारणा भी नहीं है।
अत्यन्त ऊंचे दाम पर उड़द की लिवाली अटक सकती है और इसका कारोबार प्रभावित हो सकता है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के सम्पूर्ण सीजन के लिए 30.50 लाख टन उड़द के उत्पादन का लक्ष्य नियत किया है।