iGrain India - नई दिल्ली । उर्वरक (फर्टिलाइजर) कंपनियों को जल्दी ही कुछ राहत मिलने वाली है क्योंकि जीएसटी कौंसिल द्वारा रिफंड बकाया जारी करने हेतु एक सर्कुलर प्रकाशित करने का सिफारिश किए जाने की उम्मीद है।
इन्वर्टेड शुल्क ढांचा एवं सब्सिडी के परिणामस्वरूप कंपनियों को रिफंड बकाया मिलने के आसार हैं। आम चुनाव के बाद जीएसटी कौंसिल की एक बैठक होने की उम्मीद है जिसमें इस तरह की सिफारिश की जा सकती है।
इनवर्टेड शुल्क ढांचे के अंतर्गत शुल्क की दर इनपुट पर ऊंची होती है जबकि तैयार उत्पादों पर नीचे रहती है। उर्वरकों पर 5 प्रतिशत का जीएसटी लागू है जबकि इसमें इस्तेमाल होने वाले अमोनिया जैसे अवयव (इनपुट) तथा पैकेजिंग मैटीरियल पर 18 प्रतिशत का जीएसटी लगाया गया है।
हालांकि केन्द्र सरकार यूरिया तथा सी एंड के उर्वरकों पर सब्सिडी प्रदान करती है लेकिन इसकी गणना की भिन्न-भिन्न विधियां अपने जाती है।
सर्वाधिक खपत वाले उर्वरक की बिक्री किसानों को वैधानिक रूप से अधिक सूचित उच्चतम खुदरा मूल्य 242 रुपए प्रति बोरी (45 किलो) पर की जाती है लेकिन इसमें निम् आवरण (कोटिंग का चार्ज तथा अन्य देश टैक्स शामिल नहीं होते हैं।
यूरिया के उत्पादन पर होने वाले खर्च तथा किसानों को उपलब्ध करवाए जाने वाले मूल्य के बीच जो अंतर होता है उसे सरकार सब्सिडी के जरिए पूरा करती है।
यह सब्सिडी यूरिया के निर्माताओं / आयातकों को न्यूट्रिएंट बेस्ट सब्सिडी पॉलिसी के अंतर्गत प्रदान की जाती है। इस नीति के तहत उर्वरक कंपनियों को अपने उत्पादों एमआरपी निर्धारित करना पड़ता है और सरकार इस पर गहरी नजर रखती है।