iGrain India - नागपुर । रसोईघर के लिए आवश्यक लगभग तमाम खाद्य उत्पादों का भाव ऊंचा रहने से आम लोगों की कठिनाई बढ़ रही है और उसका बजट भी असंतुलित होता जा रहा है।
गेहूं एवं इसके उत्पादों, दाल-दलहन तथा चीनी का दाम पहले से ही काफी ऊंचे स्तर पर बना हुआ है जबकि अब सरसों तेल में भी तेजी आ गई है। चावल का भाव नीचे नहीं आ रहा है। गेहूं की आपूर्ति का अभी पीक सीजन चल रहा है लेकिन फिर भी इसका दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
समझा जाता है कि वर्ष 2023 में मानसून की बारिश कम होने से लगभग सभी प्रमुख फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ। इससे मांग एवं आपूर्ति के बीच भारी असंतुलन पैदा हो गया और कीमतों में तेजी- मजबूती का सिलसिला शुरू हो गया जो अभी तक कायम है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार (निर्यातक देशों) में चना, उड़द एवं तुवर की सीमित आपूर्ति होने से इसके आयात को बढ़ाने में दिक्कत हो रही है।
जहां तक गेहूं एवं चीनी का सवाल है तो बेशक इसके व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है मगर विदेशों से इसका आयात भी नहीं हो रहा है।
जानकारों के अनुसार बड़े-बड़े उत्पादक गेहूं तथा चना का स्टॉक रोकने का प्रयास कर रहे हैं जिससे मंडियों में इसकी सीमित आपूर्ति हो रही है। इन दोनों फसलों का उत्पादन भी सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है।
तुवर और उड़द की खरीफ कालीन फसल के लिए बिजाई शुरू होने वाली है जबकि इसका नया माल चार-पांच महीने के बाद आना शुरू होगा और तब भी कीमतों में गिरावट आने की कोई गारंटी नहीं होगी क्योंकि उत्पादकों में स्टॉक रोकने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
गेहूं की सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे छूट गई है और केन्द्रीय पूल में इसका पिछला बकाया स्टॉक भी बहुत कम बचा हुआ था। इसके फलस्वरूप बाजार भाव पर दबाव नहीं पड़ रहा है।
महाराष्ट्र सहित देश के कई अन्य राज्यों में तुवर दाल का खुदरा भाव पिछले कई महीनों से 200 रुपए प्रति किलो के आसपास चल रहा है जबकि अब चना दाल का खुदरा मूल्य भी 100 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गया है।
चना दाल का एक्स मिल भाव पिछले दिनों इंदौर में 93 रुपए प्रति किलो तथा अकोला में 86 रुपए प्रति किलो पर पहुंचा।