iGrain India - नई दिल्ली । वास्तविक उत्पादन कृषि मंत्रालय के अनुमान से कम होने, सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रहने तथा बड़े-बड़े उत्पादकों द्वारा स्टॉक रोके जाने से गेहूं का घरेलू बाजार भाव ऊंचे स्तर पर मजबूत बना हुआ है और फ्लोर मिलर्स तथा प्रोसेसर्स के साथ-साथ व्यापारियों स्टॉकिस्टों को भी समुचित मात्रा में इसकी खरीद के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
इसे देखते हुए अब विदेशों और खासकर रूस से गेहूं का आयात शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। गेहूं पर अभी 40 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है जिसे हटाने के लिए सरकार को मनाने का प्रयास किया जा रहा है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने कहा है कि विदेशों से गेहूं का आयात शुरू करना घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने का सर्वोत्तम तरीका है और इसलिए सरकार को आयात को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए।
उम्मीद की जा रही है कि जून के बाद गेहूं पर लगे आयात शुल्क को हटाया जा सकता है। घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार चाहे तो अक्टूबर में रबी कालीन फसलों की बिजाई शुरू होने से पूर्व गेहूं के आयात पर सीमा शुल्क को पुनः लागू कर सकती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि 40 प्रतिशत के सीमा शुल्क को हटाने की घोषणा होते ही व्यापारी एवं मिलर्स गेहूं का आयात शुरू कर देंगे।
एक अग्रणी व्यापारी के अनुसार 30 लाख टन गेहूं का आयात करना पर्याप्त होगा और रूस इसका प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हो सकता है। अक्टूबर से गेहूं का भाव उछलना शुरू हो जाता है मगर विदेशों से आयात के जरिए इस तेजी को नियंत्रित किया जा सकता है।