iGrain India - बंगलौर । खरीफ सीजन में बिजाई शुरू होने से पूर्व कर्नाटक में विभिन्न फसलों के बीज के दाम में बढ़ोत्तरी होने से राज्य सरकार चिंतित है जबकि विपक्ष भी सरकार की आलोचना कर रहा है।
विपक्ष ने बीज के दाम में बढ़ोत्तरी के लिए राज्य सरकार की पांच गारंटी को जिम्मेवार माना है जबकि मुख्य मंत्री ने सूखे को इसका कारण बताया है।
एक विपक्षी नेता का कहना है कि कृषि विभाग में उपलब्ध रियायती मूल्य वाले बीजों का दाम दोगुना बढ़ गया है। खुले बाजार में इससे आधे दाम पर बीज उपलब्ध हो रहा है। सरकार को बीजों का दाम घटाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री का कहना है कि पिछले साल (2023 में), कर्नाटक को भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा था जिससे बीजों का उत्पादन प्रभवित हुआ और इसके परिणामस्वरुप उत्पादकों से बीजों की खरीद का खर्च बढ़ गया।
यह मामला सिर्फ कर्नाटक का नहीं है बल्कि अन्य अधिकांश प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में भी यही स्थिति है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष बीजों की कीमतों में 48.56 प्रतिशत तक का अंतर देखा जा रहा है। दूसरे राज्यों से तुलना करने पर पता चलता है कि कर्नाटक में बीजों का दाम अब भी नीचे है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक सोयाबीन जैसी फसलों के बीज का भाव कुछ घट गया है जबकि सूरजमुखी बीज का दाम स्थिर बना हुआ है। बीजों का बिक्री मूल्य एपीएमसी द्वारा कृषि उत्पादों के खरीद मूल्य द्वारा भी निर्धारित होता है।
2022-23 के मुकाबले 2023-24 के दौरान खरीद लागत खर्च में करीब 59.58 प्रतिशत तक का अंतर देखा गया। बीजों के खरीद मूल्य में हुई बढ़ोत्तरी उन किसानों को भारी फायदा हुआ जो अपने खेतों में बीजों का उत्पादन करके बाजार में इसकी बिक्री करते हैं।