iGrain India - नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से 45.60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था जो 2023-24 में तेजी से बढ़कर 52.40 लाख टन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया मध्य एशिया,
पश्चिम एशिया एवं खाड़ी क्षेत्र के प्रमुख आयातक देशों में अभी बासमती चावल का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है और इसलिए उसे इसका आयात बढ़ाने की कोई जल्दबाजी नहीं है। इन देशों में पाकिस्तान से भी अच्छी मात्रा में बासमती चावल का आयात हुआ था।
वर्तमान हालत यह है कि भारतीय बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य घटकर 800-850 डॉलर प्रति टन पर आ गया है जो केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) से भी 100-150 डॉलर प्रति टन नीचे है।
उल्लेखनीय है कि 950 डॉलर प्रति टन से नीचे के अनुबंध मूल्य का एपीडा में रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है और रजिस्ट्रेशन के बगैर बासमती चावल का निर्यात शिपमेंट नहीं किया जा सकता है।
निर्यातकों ने एपीडा से तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। यदि यथाशीघ्र इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो बासमती चावल का निर्यात ठप्प पड़ सकता है।
पिछले साल जब सरकार ने जुलाई में गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी और अगस्त में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाते हुए बासमती चावल के लिए 1200 रुपए प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया था तब विदेशी खरीदार आशंकित हो गए थे।
इसलिए जब अक्टूबर 2023 में मेप को 1200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डोला प्रति टन नियत किया गया तब विदेशी आयातकों ने भारतीय बासमती चावल की खरीद में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई और सऊदी अरब तथा इराक सहित अन्य देशों ने विशाल मात्रा में इसका आयात करके भारी-भरकम स्टॉक बना लिया।
उन देशों को आशंका थी कि भारत में बासमती चावल के निर्यात के संवर्धन में कमी भी नीतिगत बदलाव हो सकते हैं। जब तक पिछला स्टॉक न ही घटेगा तब तक इन देशों के आयातक ऊंचे दाम पर बासमती की खरीद के लिए सक्रिय नहीं हो पायेंगे।