iGrain India - कोच्चि । अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में भारतीय मसालों के लिए एक बार फिर खतरा और संकट बढ़ता जा रहा है। पहले हांगकांग एवं सिंगापुर ने इसके आयात एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगाया और फिर नेपाल में भी इसी तरह का निर्णय लिया गया। अब यूरोपीय संघ ने भी नियमों को काफी सख्त बना दिया है। इतना ही नहीं बल्कि बांग्ला देश, मालद्वीप एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के नियामकों ने भी कठोर फैसले का संकेत दिया है।
भारत के दो अग्रणी ब्रांडों के मसाला मिक्स में कथित रूप से एथीलीन ऑक्साइड (ईटीओ) का ऊंचा अंश मौजूद रहने के आधार पर इसके आयात एवं उपयोग को रोका जा रहा है जो भारत के लिए अत्यन्त चिंता का विषय है।
ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड के खाद्य मानक एजेंसी का कहना है कि इस मामले को गहरे से समझने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों (अन्य देशों की एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है और यह निर्धारित करने की कोशिश हो रही है कि इसमें आगे किसी कार्रवाई की जरूरत है या नहीं।
भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादन, खपतकर्ता एवं निर्यातक देश है। जानकारों का कहना है कि प्रतिबंध के बारे में कई सवाल अभी अनुत्तरित हैं जिसका जवाब उन देशों को देना चाहिए।
इन प्रतिबंधों को साजिश का हिस्सा माना जा रहा है और इससे गहरा सन्देश उत्पन्न हो गया है। वित्त वर्ष 2022-23 की पूरी अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से मसालों का निर्यात बढ़कर 4 अरब डॉलर पर पहुंच गया इसलिए इसे विदेशी मुद्रा उपार्जन का एक बड़ा स्रोत माना जा रहा है और सरकार को इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
सर्वप्रथम ईटीओ के वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक उपयोग को समझना आवश्यक है। एथीलीन ऑक्साइड (C2H4O) कमरे के तापमान पर एक ज्वलनशील एवं रंगहीन गैस है जिसका उपयोग एक कीटनाशक एवं स्टेरिलाइजिंग एजेंट के रूप में किया जाता है मेडिकल फील्ड में इसे स्रावधिक उपयोग वाले रसायनों में से एक माना जाता है।
अमरीका में तो रोजाना करीब 5 करोड़ एवं सालाना लगभग 20 अरब चिकित्सा उपकरणों को ईटीओ के माध्यम से स्टैरिलाइज्ड किया जाता है। भारत सरकार एवं मसाला बोर्ड को सक्रिय दिखाना होगा।