iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि देश के 150 प्रमुख बांधों एवं जलशयों (सरोवरों) में लगातर 34 वें सप्ताह पानी के भंडार में कमी आई।
उत्तरी क्षेत्र में पानी का स्तर 2 प्रतिशत बिंदु ऊपर उठा जबकि देश के चार अन्य संभागों में पानी का भंडार कुल भंडारण क्षमता के सापेक्ष 30 प्रतिशत से भी नीचे आ गया।
लेकिन दक्षिण भारत (केरल) में अब दक्षिण-पश्चिम मानसून पहुंच गया है और देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी इसकी सक्रियता बढ़ रही है इसलिए शीघ्र ही अच्छी बारिश के सहारे बांधों-जलाशयों में जल स्तर में सुधार आने के आसार हैं।
अगले दो सप्ताहों में यह मानसून देश के कई राज्यों में पहुंच जाएगा जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात एवं बिहार आदि शामिल है।
इससे किसानों को खरीफ फसलों की बिजाई में सहूलियत होगी। मालूम हो कि मानसून की पहली बौछार के साथ ही खरीफ फसलों की बिजाई आरंभ हो जाती है।
केन्द्रीय जल आयोग के मुताबिक देश के 150 प्रमुख बांधों- जलाशयों में से 140 में पानी का स्टॉक कुल भंडारण क्षमता के 50 प्रतिशत से कम बचा हुआ है।
चालू सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश का रंगावान जलाशय सूख गया और इसके साथ ही देश भर में पूरी तरह सूखने वाले जलशयों की संख्या बढ़कर आठ हो गई। इसमें 5 जलाशय दक्षिण भारत के हैं।
150 प्रमुख बांधों- जलशयों में पानी की कुल भंडारण क्षमता 178.784 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है जबकि उसमें पानी का कुल स्टॉक महज 23 प्रतिशत या 41.705 बीसीएम मौजूद है।
पिछले साल इन सरोवरों में 77 प्रतिशत पानी उपलब्ध था। दक्षिण भारत में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। वहां जलाशयों में पानी का भंडार पिछले तीन सप्ताह से 14 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है।
केरल और तमिलनाडु में मानसून-पूर्व की अच्छी बारिश होने से स्थिति संभल गई अन्यथा जल भंडार में और भी कमी आ सकती थी।
दक्षिण भारत के कुल 42 बांधों-जलशयों में केवल 7.317 बीसीएम पानी का स्टॉक बचा हुआ है जो कुल भंडारण क्षमता 53,3034 बीसीएम का महज 14 प्रतिशत है।