iGrain India - हैदराबाद । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत से वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान मक्का का निर्यात बढ़कर 34.53 लाख टन पर पहुंच गया था जो 2023-24 में 58 प्रतिशत घटकर 14.42 लाख टन पर सिमट गया। यह पिछले साल का न्यूनतम निर्यात स्तर है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने तथा उत्पादन में कमी आने के साथ-साथ पॉल्ट्री फीड, पशु आहार, स्टार्च निर्माण एवं एथनॉल उत्पादन में मांग बढ़ जाने से मक्का का निर्यात काफी हद प्रभावित हुआ।
ऊंचे भाव एवं कम स्टॉक के कारण बांग्ला देश एवं वियतनाम जैसे प्रमुख आयातक देशों ने भारत से मक्का का आयात घटा दिया और अन्य निर्यात देशों से सस्ते दाम पर इसे मंगाने का प्रयास किया।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान मक्का के निर्यात से होने वाली आमदनी भी 111.60 करोड़ डॉलर से 60 प्रतिशत घटकर 44.30 करोड़ डॉलर पर सिमट गई जबकि भारतीय मुद्रा में यह आमदनी 8987 करोड़ रुपये से 59.30 प्रतिशत घटकर 3660 करोड़ रुपए पर अटक गई।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान वियतनाम भारतीय मक्के का सबसे प्रमुख खरीदार रहा जिसने 6.88 लाख टन का आयात किया मगर यह मात्रा 2022-23 के आयात 8.91 लाख टन से करीब 23 प्रतिशत कम रही।
इसके बाद नेपाल ने करीब 3.78 लाख टन मक्का मंगवाया जो 2022-23 के आयात 3.91 लाख टन से 3.3 प्रतिशत कम रहा।
बांग्ला देश में मक्का का निर्यात 2022-23 के 17.09 लाख टन से 88 प्रतिशत लुढ़ककर 2023-24 में 2.08 लाख टन पर अटक गया। ध्यान देने की बात है कि बांग्ला देश हाल के वर्षों में भारतीय मक्के का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ था।
भारतीय मक्का वैश्विक निर्यात बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी नहीं है। मक्का का उत्पादन भी 380.85 लाख टन से घटकर 324.70 लाख टन रह जाने का अनुमान है।