iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने दिशा निर्देशों के नए सेट में लोगों को मसाला पाउडर के बजाए साबुत मसालों के उपयोग पर अधिक ध्यान देने का सुझाव दिया है क्योंकि मसाला पाउडर में मिलावट की संभावना ज्यादा रहती है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है।
12 वें दिशा निर्देश- 'उपभोक्ता सुरक्षा एवं साफ-स्वच्छ खाद्य उत्पाद' में परिषद ने सुरक्षित खाद्य पदार्थों का चुनाव करने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उसमें किसी तरह का संक्रमण, फफूंदी, बाह्य तत्वों तथा कृत्रिम रंग आदि की मिलावट या उपस्थिति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मसाले न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि वे एंटी ऑक्सीडेंट के भंडार भी होते हैं। वे शरीर की नई अवस्थाओं एवं स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों के प्रबंधन में सहायता करते हैं।
आईसीएमआर ने खाद्य पदारतों का निर्माण करते समय मसालों की खरीद में सावधानी बरतने का सुझाव दिया है। उसका कहना है कि मसाला पाउडर एवं मिक्स में मिलावट की आशंका ज्यादा रहती है मगर साबुत मसालों में मिलावट बहुत कम पाई जाती है।
साबुत मसालों में भी समान रंग, आकार एवं बनावट वाले उत्पादों का उपयोग करना ज्यादा लाभप्रद होता है और इसलिए उसके इस्तेमाल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। परिषद मशविरा है कि हमेशा प्रमाणित उत्पादों को ही खरीदना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में दो अग्रणी ब्रांडों के मसाला मिक्स में एथीलीन ऑक्साइड का ऊंचा अंश पाए जाने से भारी बवाल पैदा हो गया है और कुछ देशों ने उसके आयात एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें हांगकांग, नेपाल, सिंगापुर एवं यूरपीय संघ आदि शामिल हैं।
साबुत मसालों में सभी प्राकृतिक गुण मौजूद रहते हैं और इसमें किसी बाहरी तत्वों की मिलावट की जरूरत नहीं पड़ती। यदि मिलावट हुई है तो उसका पता तुरंत लग जाता है।
दूसरी ओर मसाला पाउडर की क्वालिटी हेमशा संदेहास्पद बनी रहती है और अब तो नकली मसाला पाउडर की भरमार हो गई है। इससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।