iGrain India - नई दिल्ली । सितम्बर 2022 में 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया और फिर अगस्त 2023 में गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाते हुए बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया गया।
हालांकि बासमती चावल का निर्यात ही प्रभावित नहीं हुआ क्योंकि दो माह के बाद ही मेप को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन पर लाया गया मगर सफेद चावल का व्यापारिक निर्यात बंद होने से कुल शिपमेंट पर बहुत फर्क पड़ गया।
वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 के दौरान चावल का कुल निर्यात 18.5 प्रतिशत घटकर 165 लाख टन पर सिमट गया। अप्रैल-जुलाई 2023 के दौरान सफेद चावल का शिपमेंट होने से स्थिति थोड़ी ठीक रही अन्यथा कुल निर्यात में और भी गिरावट आ सकती थी।
भारत से बासमती चावल का निर्यात मुख्यत: मध्य पूर्व एवं खाड़ी क्षेत्र के देशों में तथा गैर बासमती चावल का शिपमेंट पश्चिमी अफ्रीकी देशों में होता है।
जहां तक चालू वित्त वर्ष (2024-25) का सवाल है तो शुरूआती दो माह में सरकार ने चावल की निर्यात नीति में किसी तरह का बदलाव करने का कोई संकेत नहीं दिया।
सफेद-चावल का व्यापारिक निर्यात बंद है। सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है और बसमती चावल के लिए भी 950 डॉलर प्रति टन का मेप लागू है जबकि इसका अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव घटकर 800-850 डॉलर प्रति टन रह गया है।
यदि सरकारी नीति में कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं हुआ तो चालू वित्त वर्ष में चावल का निर्यात और भी घट सकता है।