iGrain India - कोयम्बटूर । वर्तमान समय में भारतीय बंदरगाहों पर ऑस्ट्रेलिया गेहूं का औसत आयात खर्च 207 डॉलर (24,800 रुपए) प्रति टन, काला सागर सेहतर (रूस, यूक्रेन, रोमानिया आदि) के गेहूं का खर्च 275 डॉलर (22,963 रुपए) प्रति टन और अमरीकी गेहूं का आयात खर्च 299 डॉलर (24,967 रुपए) प्रति टन बैठ रहा है। यह सांकेतिक खर्च है क्योंकि भारत में अभी किसी देश से गेहूं का व्यापारिक आयात नहीं हो रहा है।
भारतीय बंदरगाहों पर विदेशों से आयात होने वाले गेहूं का क्लीयरिंग चार्ज करीब 14 डॉलर प्रति टन मान लिया जाए तो यह ऑस्ट्रेलियाई गेहूं के लिए 1169 रुपए प्रति टन, रूसी गेहूं के लिए 1503 रुपए प्रति टन तथा अमरीकी गेहूं के लिए 1169 रुपए प्रति टन बैठेगा।
इसके बाद बंदरगाह से फ्लोर मिलों तक आयातित गेहूं को पहुंचाने का परिवहन खर्च 12 डॉलर प्रति टन मानने पर यह 1002 रुपए प्रति टन बैठता है।
इस तरह ऑस्ट्रेलिया से गेहूं मंगाने पर भारतीय फ्लोर मिलों तक इसकी का कुल 26,971 रुपए प्रति टन (2697 रुपए प्रति क्विंटल), रूसी गेहूं का कुल खर्च 25468 रुपए प्रति टन (2547 रुपए प्रति क्विंटल) तथा अमरीकी गेहूं का कुल खर्च 27,138 रुपए प्रति टन (2714 रुपए प्रति क्विंटल) बैठता है।
संदर्भ के लिए दक्षिणी-भारत के बंदरगाहों के निकट अवस्थित कोयम्बटूर (तमिलनाडु) में गेहूं का भाव 2880 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
इस तरह वहां फ्लोर मिलर्स को ऑस्ट्रेलिया से गेहूं मंगाने पर 183 रुपए प्रति क्विंटल, रूस से आयात करने पर 333 रुपए प्रति क्विंटल तथा अमरीका से आयात करने पर 166 रुपए प्रति क्विंटल की बचत हो सकती है।
तमिलनाडु में मुख्यत: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कभी-कभी बिहार तथा राजस्थान से गेहूं मंगाया जाता है। इन प्रांतों में अभी गेहूं का थोक मंडी भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है।
भारत में गेहूं के आयात पर फिलहाल 40 प्रतिशत का भारी-भरकम सीमा शुल्क लगा हुआ है इसलिए इसका वास्तविक खर्च बहुत ऊंचा बैठेगा।
या तो सरकार को आयात शुल्क समाप्त करना होगा या फिर खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से रियायती मूल्य पर गेहूं बेचना पड़ेगा। तभी बाजार में कुछ स्थिरता आ सकती है।