iGrain India - नई दिल्ली । भारत के सुदूर दक्षिणी राज्य- केरल में इस बार 30 मई को ही दक्षिण-पश्चिम मनसून पहुंच गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) तथा एक प्राइवेट मौसम एजेंसी ने जून- सितम्बर 2024 के चार महीनों में दीर्घ कालीन औसत (एलपीए) के सापेक्ष देश में 106 प्रतिशत बारिश होने की संभावना व्यक्त की है। हालांकि जून में अपेक्षाकृत कम वर्षा हो सकती है मगर बाद के महीनों में जोरदार बारिश होने की उम्मीद है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2023-24 के रबी सीजन में लगभग 16.50 लाख टन लाल मसूर के उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि वास्तविक उत्पादन 11-12 लाख टन से अधिक नहीं हुआ है।
मसूर फसल की कटाई-तैयारी पहले ही समाप्त हो चुकी है। घरेलू प्रभाग में अन्य दलहनों की तुलना में मसूर का भाव पिछले कुछ महीनों के लगभग स्थिर बना था क्योंकि कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया सहित कुछ अन्य देशों से इसकी विशाल मात्रा का आयात हो रहा था लेकिन और नई घरेलू फसल भी तैयार होकर मंडियों में आ रही थी लेकिन अब इसकी कीमतों में भी अचानक बढ़ोत्तरी होने लगी है।
इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि या तो घरेलू उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है या फिर किसानों ने इसका स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है। बड़े-बड़े उत्पादकों को आगामी महीनों में मसूर का भाव और भी तेज होने की उम्मीद है। आम चुनाव की अवधि के दौरान दलहनों की सरकारी बिक्री पर भी काफी हद तक रोक लगी रही।
मार्च 2024 के दौरान भारत में करीब 68 हजार टन मसूर का आयात हुआ जो मई 2023 के बाद का सबसे छोटा मासिक आयात आंकड़ा था। आमतौर पर मार्च-अप्रैल में नई घरेलू फसल की जोरदार कटाई-तैयारी एवं आवक होने से मसूर का आयात कम होता है।
मार्च में आसट्रेलिया से करीब 39 हजार टन एवं कनाडा से 18 हजार टन मसूर मंगाई गई जबकि शेष आयात रूस सहित कुछ अन्य देशों से हुआ।
इसके बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि के दौरान मसूर का कुल आयात उछलकर 16.70 लाख टन के ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो इससे पूर्व 2015-16 के रिकॉर्ड आयात 12.60 लाख टन से भी 4.10 लाख टन ज्यादा रहा। मसूर के आयात का सिलसिला 2024-25 के वित्त वर्ष में भी जारी है।
इस बार किसानों से करीब 1.25-1.50 लाख टन मसूर की सरकारी खरीद होने का अनुमान है जबकि एजेंसियों के पास इसका कुल स्टॉक 6 लाख टन के करीब पहुंच गया है।